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आज्ञा मानी नहि, तेथी खेद पामेला देवपाले जइने देवने कह्यं के, ज्यां काइपण प्रकारचें मान पान सचवातुं नथी एवा राज्यवडे करीने म्हारे सयुं, म्हारे तो नोकरपणुं ज भलुं छे. एटले देवे का के, तुं कुंभार पासे जा अने तेना पासे माटीनो हाथी करावी तेना उपर बेसीने फरवा जा. आवी रीते देखीने समग्र राजाओ त्हारी आज्ञा मानशे, देवपाले तेम करवाथी देवतानी प्रेरणाथी गंध हस्तिना पेठे ते हाथी देवपालने पोतानी पीठ उपर बेसाडी राजमार्गने विषे चाल्यो, तेथी सर्वे लोको | आश्चर्यना साथे आनंद पाम्या अने तमाम राजाओये देवपाल राजानी आज्ञा मानी अने पोते जेने घेर प्रथम नोकर हतो, ते
शेठीयाने मंत्रिना पद उपर स्थापन कयों, तथा पोते महामनोहर जैन मंदिर बंधावी, नदी काठेथी युगादि देवना बिंबने लावी, ते नवीन प्रासादने विषे स्थापन करी, त्रिकाल पूजाने निरंतर करतो जैनशासननी प्रभावना करवा लाग्यो, हवे एक दिवसे देवपाल राजाये प्रथमना राजानी कन्यानुं पाणिग्रहण कयु, ते राणी एक दिवसे राजाना साथे पोताना महेलना झरुखाने विषे बेठी हती, तेणीये रस्ताने विषे जतो कोइ वृद्ध पुरुषने देख्यो अने तेने देखी जातिस्मरण ज्ञानथी मृर्छा पामी, शीतल उपचारथी मूर्छा नाश पामी. चेतनाने पामेली तेणीये ते वृद्ध पुरुषने राजा पासे बोलावी पोताना पूर्वभवतुं स्वरूप कहीने कह्यु के, हे स्वामिन् ! हुं पूर्वभवने विषे आ वृद्ध पुरुषनी स्त्री हती. आ जिनेश्वर महाराजना विबनी पूजा करवाथी हे राजन् ! हुं त्हारी राणी थह, पूर्वभवने विषे में आने प्रभु पूजा करवा माटे घणुं कहेवा छतां मान्यु नहि, तेम ज धर्मने पण अंगीकार न कर्यो, तेथी हजुसुधी आनी आवी ज दशा रहेली छे, ते सांभळी ते वृद्ध पण काइक धर्म क्रिया करवा उजमाल थयो. देवपाले परमात्मानी पूजा शुद्धभावथी करवाथी तीर्थकर गोत्र बांध्यु अने छेडे दिक्षाने लइ देवलोकने
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