SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * F चौमासी व्याख्यान ॥ काठीयार्नु स्वरूप ॥ ॥२४॥ FES卐09। विषे देवपणे उत्पन्न थयो. तेनी स्त्री हती तेणीये पण पोताना करावेला कामणथी ज तेनुं मरण थयेलं जाणी निर्वेदभाव धारण करी व्रतने अंगीकार कर्यु. तेमज करेल पापकर्मनी आलोचना लीधा सिवाय मरीने ते पण देवलोकमां गइ. त्यारवाद देवलोकना आयुष्यने पूर्ण करी ते ब्राह्मणनो जीव त्यांथी चवी राजगृहनगरने विषे धन नामना सार्थवाहनी चिलाती नामनी दासी हती तेनी कुक्षीमां पुत्रपणे उत्पन्न थयो अने लोकोये तेनुं नाम चिलाती पाडधु, तेनी स्त्री जे हती ते पण स्वर्गथी चवीने ते ज धन सार्थवाहने त्यां तेना पांच पुत्रोना उपर पुत्री थइ अने तेनुं नाम सुसुमा पाडयु, त्यारवाद सुसुमाने क्रीडा कराववा माटे धन सार्थवाहे चिलाती पुत्रने राख्यो अने बन्ने मोटा थवाथी चिलाती पुत्र बदआचरण सुसुमना साथे करवा लाग्यो. तेवा प्रकारनी चेष्टा देखी धन सार्थवाहे पोताना घरथी तेने काढी मुक्यो, त्यारवाद ते सिंहगुहा नामनी चोरपल्लीने विषे गयो, त्यां पल्लीपति हतो, तेणे तेने पुत्र करीने राख्यो, अने पोताना मरण समये तेने पल्लीनो नायक बनाव्यो, ते अवसरे चिलाती पुत्र कामदेवथी पीडा पामी सुसुमार्नु स्मरण करवा लाग्यो अने पापिष्ट बुद्धिना धणी तेणे चोरोने नीचे प्रमाणे कयुं के, हे चोरलोको ! आजे चालो आपणे राजगृहनगरने विषे धनसार्थवाहने घेर चोरी करवा जइये, त्यांथी जेटलुं धन आवे ते तमे लइ लेजो अने सुसुमा नामनी तेनी कन्या छे ते मारी. ए प्रमाणे व्यवस्था करी सर्वे चोर लोको त्यां गया, ने धनना घरमा पेठा. धन श्रेष्टि आदिने तेणे अवस्वापिनी निद्रा आपीने बीजा चोरोजे हता ते धन लइने गया अने चिलाती सुसुमाने उपाडी चालवा मांडथो. त्यारबाद श्रेष्टि जाग्यो, तेने खबर पडवाथी पांच पुत्रो सहित ककलाट करी कोटवालने साथे लइ चोरो पछाडी चाल्यो. चोर लोकोये पोताना पाछळ आवता लोकोने देखी भयथी त्रास 191999- ॥ २४॥
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy