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________________ चौमासी व्याख्यान / 卐 काठीयार्नु स्वरूप // . y卐y4 राजाना तिरस्कारने नहि गणतो प्रथमना पेठे ज रत्ननो थाळ भरी राजाने भेट करी निरंतर तेनी पुत्रीनी मागणी करवा मंब्यो. अन्यदा अभयकुमारे मेताने पूछथु के आवा अमूल्य रत्नो तुं निरंतर क्याथी लावे छे, त्यारे तेणे कर्वा के म्हारा पासे एक बोकडो छे, ते विष्टाने बदले रत्नोने ज उत्पन्न करे छे. त्यारे अभयकुमारे कह्यु के तुं ते बोकडो मने आप त्यारे मेताये आप्यो. ते लइ अभयकुमारे प्रासादने विषे बांध्यो, एटले रत्नने बदले दुर्गंधमय विष्टा करवा लाग्यो. अभयकुमारे देवताये करेली माया जाणी तेने बोकडो पाछो आप्यो अने कह्यु के त्हारा पुत्रने माटे जो त्हारे राजपुत्रीनी इच्छा छे तो वैभारगिरिनो मार्ग महा विषम छे, तो सुगमता माटे तेना उपर शीघ्रताथी चडी शकाय तेवा पगथीया करावी दे, तथा अमारा नगरना रक्षण माटे सोनानो किल्लो गढ चोतरफ करावी दे, तथा त्हारा पुत्रने स्नान कराववा माटे हालमां तुरत समुद्र इहां लावी दे. अभयकुमारना कहेवाथी तेमणे देवनी सहायथी तुरत सर्व करी दीधु. हवे समुद्रना पाणिथी स्नान करावी राजाये मेतार्य श्रेष्टिने सोंपी दीधो, तथा पोतानी पुत्री मेतार्यने आपी महा अद्भुत रीते पाणिग्रहण कराव्यु, त्यारबाद ते आठे शेठीयाओये पण पोतानी आठे कन्याओ मेतार्यने परणावी, मेतार्य नव स्त्रियोना साथे पांच प्रकारना सुखोने भोगवतो बार बर्षने एक क्षणनी पेठे व्यतीत करवा समर्थमान थयो, ए रीते चार वर्ष पूर्ण थवाथी देवताये आवीने कयुं के हवे प्रमाद न कर, जल्दीथी दिक्षा ले, त्यारे तेनी स्त्रियोये हाथ जोडी करगरीने कर्दा के हे देव! अमारा उपर कृपा करी बीजा बार वर्ष अमारा स्वामीने घरमा रहेवा द्यो, तेथी देवे तेनी प्रार्थना सफल करी. चोवीस वर्षने अंते मेतार्य तथा स्त्रियो विगेरेये ए सर्वे जणाये दिक्षा लीधी अने मेतार्य मुनि नवपूर्वी थइ एकलविहारीपणे विहार करवा लाग्या. एकदा प्रस्तावे मासक्षपणनेपारणे राजगृह नगरने
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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