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________________ * FEESED एक पण मूरख माणस न समजवो. माटे हवे जेटला आपणा पैसा तेणे खाधा छे ते लइ लेवा. आवां वचनो सांभळी चोरो तमामनो एक मत थयो के वाणियाने अत्यारे ने अत्यारे लुटो, चालो, एटले मोटा चार चोरो हता ते बोल्या के, सबुर करो, अत्यारे ने अत्यारे एकदम न लुटाय, कारण के घणा वर्षनो आपणे पाडोशीपणानो संबंध छे माटे ते न जाणे ते वखते आपणे तेना पैसा लइ लेशु, हालमां कोइ बोलशो नहि, गुप चुप बेसी रहो. हवे रात्री पडी दसेक वाग्यानो शुमार थयो ते वखते चारे चोरो उपड्या ने वाणियानी दुकानना बारणा पासे आव्या. वारणानी तडोमांथी चोरोये जोयुं तो ते वाणियाने सामायिक लइने बेठेलो ने हाथमा माला फेरवतो देख्यो, तथा एक बाजु पाटलो आडो मुकेलो दीवो बलतो देखी चारे जणा आघा जइ वातो करवा लाग्या के, आ वाणियो मारो बेटो पाको छे हो के ! जोयु के दीवा आडो पाटलो मुकी आपणने लुटवानी माला फेरवी उजागरो करी केवो पैसो साचवे छे. गमे तेम हो पण आपणे तेना पैसा आजे लीधे ज छुटको करवो छे. आवो विचार करी फरीथी तेना बारणा पासे जइ उभा रह्या. चतुर वाणियो चेती गयो मनमां जाण्यु के आजे निश्चय म्हारा पैसा लुटाशे. क्षण मात्र तेने आडा अवला विचार आव्या, पण तेवामां विवेक प्राप्त थयो ने आत्म साक्षीये मनने समजाववा मांड्यो के, अरे! हुं कोण छु, अत्यारे केवी स्थितिमा छु, हालमां कया कार्यनुं में आलंबन कयु छे, तेनो मने विचार पण आवतो नथी. हे जीव ! तुं सामायिक लइने बेठो छे. तुं आर्तध्यान करीश नहि के आ लुटारा मारो पैसो लइ जाय छे. ते पैसो तारो | नथी, ते पण अन्याय अधर्म करीने तेना पासेथी लीधेल छे तो ते लइ जाय तो भले जाय. त्हारं वाह्य धन भले लुटी जाय पण तुं आर्तध्यान करी हारूं सामायिक रूपी धन गुमावीश नहि. हे चेतन! स्वस्थ था, स्थिर था, धर्मध्यानमां तत्पर था. .5545545! -卐y
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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