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संक्लिष्ट कर्म करनार, मृढ पुरुष, अल्प आयुषवालो थाय छे. तथा ब्रह्मचर्य- प्रतिपालन करनार, तथा क्षमावडे करी संयुक्त, तथा अनुकंपाने धारण करनार, तथा मिष्ट वचनोने बोलनार, तथा प्राणि वधथकी निवर्तमान थयेला जीवो दीर्घ आयुषवाला थाय छे, तथा शयन, आसन, वस्त्र, भक्त पान औषध पात्र विगेरे जे माणस, तुष्टमान थइ साधुओने आपे छे, ते भोगी थाय छे. तथा जे पोतार्नु होय ते आपे नहि, अने बीजो आपतो होय तेने वारे, बंध करे, तथा खराब आपे, तेमज आपलं हारी जाय, ते माणस भोगरहित थाय छे. तथा जे माणस निर्गुणी छतां पण अभिमानने धारण करे, तथा पोताना आत्मानी स्तुति करे, तेम ज गुणवडे करी भरेल जीवोनी निंदा करे,ते मानी माणस, विडंबना पामनार दुर्भग पुरुष थाय छे. देव गुरुनी भक्तिमा रहेनार, तथा विनय तत्पर, तथा क्षमायुक्त, तथा कोमल भाषण करनार, तथा सर्व लोकोने प्रिय करनार माणस, सुभग थाय छे. जे माणस भणनारो, तथा श्रवण करनारो, तथा वांचनारो, चितवना करनारो, बीजाने भणावनारो, उपदेश आपनारो, तथा सिद्धांत गुरु विगेरेनी भक्ति करनारो होय, ते मरीने बुद्धिमान् थाय छे. जे माणस तप गुण तथा ज्ञानगुण वडे करी वृद्धि पामेलने तिरस्कार करे, तथा विघ्न करवामा प्रवर्ने, एटले वांचवा भणवामां श्रवण करवामां अंतराय करे ते माणस मरीने दुष्ट बुद्धिवालो थाय छे, जे माणस पक्षीओना बालकोने तेना मातपिताथी वियोग करावतो नथी, तथा प्राणियोने विषे दया करे छे, तेना बालको मरता नथी. तथा जे माणस पोते देखेला, अने नहि देखेला, पारकाना छिद्रोने खोले छे तथा परना मर्मने बोले छे. तथा शोभास्थान सुख विगेरेथी भ्रष्ट करवामां तत्पर थयेलो होय, ते अनार्य माणस मरीने जन्म थकी ज | अंध थाय छे, तथा जे माणस पोते नहि सांभळेल छतां पण सांभल्युं छे, एम बोलनारो होय, तथा लोकोना पासे धर्मविरुद्ध