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________________ पाएंगे कि जैसी पोस्ट आपने लिखने का संकल्प किया था वैसी पोस्ट आपने लिख ली है। 3. अपना लक्ष्य पूर्वरात्रि में निर्धारित करें ऊपर बताया गया मानसदर्शन एक दिन पहले करना बेहतर होगा ताकि अगले दिन आप अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में काम में लग जायें इस प्रकार आपको अपने लेखन के बारे में मनन करने के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाता है। कभी-कभी नींद में सपने में भी आपको ऐसा कुछ देखने को मिलता है जो आपके लिए उपयोगी हो जाय। ऐसा बहुत कम लोगों के साथ ही होता है लेकिन यदि आप उन भाग्यशाली लोगों में आते हैं तो आपको अपने सिरहाने एक छोटा नोटपैड रख लेना चाहिए जिसमें आप आँखें खुलने पर उस बात को जल्द ही लिख लें क्योंकि सपने में देखी बात को भूलने में ज़रा भी देर नहीं लगती। 4. ज़रूरी बात पर ध्यान केंद्रित करें किसी ऐसी बात को लिखने में अपनी ऊर्जा व्यर्थ करने में कोई तुक नहीं यदि वह बात बहुत साधारण हो, अर्थात उसे लिखने से कोई फर्क न पड़ता हो। यह सही है कि लेखन अच्छी कला है लेकिन इसे बुद्धिमतापूर्ण ही अपना मूल्यवान समय देना चाहिए। अतः आप वही बात लिखने में अपनी शक्ति लगायें जिसे लिखने से कुछ प्रभाव पड़ता हो, जिसपर लोगों का ध्यान जाए चाहे वह किसी पत्रिका में छपनेवाला लेख हो या कोई उपन्यास या कोई ब्लॉग पोस्ट। यदि आप सीमित मात्र में लिखते हैं तो यह सुझाव आपके लिए उपयोगी होगा। समय का बंटवारा करें यदि आपके जीवन में लिखने के अलावा और भी काम हैं (जो कि अधिकांश लोगों के साथ होता है) तो यह ज़रूरी होगा कि आप लेखन को देनेवाले समय को सुनिश्चित कर दें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप सवेरे लिखते हैं या दोपहर में या देर रात को कोई एक प्रहर तय कर लें जब आप और आपके लेखन के बीच कोई व्यवधान न आए। 5. - - - 6. अपनी समस्त ऊर्जा का दोहन करें स्पष्ट लक्ष्य लेकर अपने मन को एकाग्र करके जब आप लिखने के लिए बैठें तब यह बात अपने मन में दोहराते रहें कि आपको इस कार्य में अपनी समस्त ऊर्जा उड़ेल देनी है। सभी व्यवधानों को हटा कर लेखन कार्य में डूब जायें। एक बार आप स्वयं को यहाँ-वहां के भटकाव से हटाकर एकाग्र चित्त होकर लेखन कार्य में लगा लेने के अभ्यस्त हो जायेंगे तो आपका लेखन प्रखर हो जाएगा। आप और आपके पाठक आपकी लेखन शैली में आए सुखद परिवर्तन को देखकर अभिभूत हो जायेंगे । 7. अपने लेखन पर गर्व करें - अच्छा लिखने पर गर्व करें। यह आपकी उपलब्धि है। बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं। इससे आपको आगे और अधिक अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलेगी। ध्यान दें, मैं केवल गर्व करने को कह रहा हूँ, घमंड करने को नहीं! आख़िर आपसे भी कई गुना अच्छा लिखने वाले मौजूद हैं। 152
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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