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________________ कम लिखें पर अच्छा लिखें "कई दिनों का सुख-चैन एक ही दिन में बहुत कुछ करने की होड़ में बरबाद हो जाता है। एक सरल नियम का पालन करें और चैन से रहें - कम करें और अच्छा करें" -डेलाई टर्नर यूनिक्स प्रोग्रामिंग के जानकर शायद यह जानते हों, उनसे यह बात अक्सर कही जाती है - "ऐसे प्रोग्राम बनाओ जो सिर्फ एक काम करें और बेहतर करें" - यह यूनिक्स प्रोग्रामिंग का दर्शन है। यह बहुत अच्छी बात है और इसे लेखन गतिविधि पर भी लागू किया जा सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि हमारे दिमाग में लिखने के लिए एक अस्पष्ट सा विचार होता है। इसी कारण से हम लिखना टालते रहते हैं क्योंकि हम समझ नहीं पाते कि हम करना क्या चाहते हैं - सब कुछ धंधला सा होता है, एक निरर्थक सा लक्ष्य (जैसे - आज मैं इस लिखूगा) हमारे सामने होता है। नतीजा, कुछ नहीं। ऐसे समय में यदि हम लिखने बैठे तो हम विचारों को केंद्रित नहीं कर पाते क्योंकि लिखने के प्रति हमने जो लक्ष्य बनाया था वह स्पष्ट नहीं था। एक दूसरी समस्या यह भी हो सकती है कि हम एक ही दिन में बहुत अधिक लिखने का प्रयास भी कर बैठते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हम उतना अच्छा नहीं लिख पाते जितना अच्छा हमें लिखना चाहिए था। इसीलिये आज केवल एक ही चीज़ लिखें और उसे अच्छे से लिखें। इन सुझावों पर ज़रा गौर करके देखिये: 1. अपने लेखन को सहज करें - यदि आप एक दिन में एक ही बात पर लिखने का संकल्प करेंगे तो यह पाएंगे कि आप अपनी लेखन ऊर्जा को एक ही बिन्दु पर केंद्रित कर सकते हैं। इस प्रकार आपके लेखन में सुधार होता है। आप सहज, स्वाभाविक और शांतचित्त होकर लिख पाते हैं। 2. स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें - यह कहने के बजाय कि "आज मैं इस चैप्टर पर काम करूँगा", या "इसपर लेख लिखूगा", या "ब्लॉग में पोस्ट लिखूगा" यह सोचना ज्यादा बेहतर होगा कि आप वस्तुतः क्या लिखना चाहते हैं। जो कुछ आप लिखना चाहते हैं उसका एक स्पष्ट खाका अपने दिमाग में बनायें। यह सोचने के स्थान पर कि आप "आज ब्लॉग में पोस्ट लिखेंगे" आप आँखें बंद करके यह देखने का प्रयास करें कि आपकी वह पोस्ट ब्लॉग में कैसी दिखेगी। आप चाहें तो मन ही मन में अपनी पोस्ट को सुन भी सकते हैं। इस मानसदर्शन का प्रयोग करते हुए आप यदि अपनी पोस्ट लिखेंगे तो 151
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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