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________________ की बात लिखी हुई है तो वह पढने से छूट भी सकती है। यह तो आप मानेंगे कि ज्यादातर लोगों के पास समय की कमी है। लोग बहुत लंबा लेख पढने से कतराते हैं। यदि लम्बी पोस्ट रखना ज़रूरी है तो बातों को नंबर या बुलेट लिस्ट लगाकर बिन्दुवार लगाना चाहिए। बहुत ज़रूरी वाक्यांशों को हाईलाईट कर देना चाहिए। पूरे-पूरे वाक्यों को हाईलाईट करना ठीक नहीं लगता। बोल्ड भी कर सकते हैं। इससे पाठक को सुविधा होती है। ८ - ब्लॉग को अस्तव्यस्त रखना - किसी भी ब्लॉग पर पोस्टों के आसपास, साइडबार में, टाइटल बैनर के नीचे, पेज के सबसे नीचे कभी-कभी इतना कुछ लगा दिया जाता है कि ब्लॉग की पाठय सामग्री गौण हो जाती है। ज्यादातर लोग ब्लॉग पर कई तरह के विजेट देखने नहीं आते, उन्हें आपकी पोस्ट से मतलब होता है। पोस्ट में भी ज़रूरत से ज्यादा और बड़े चित्रों को लगाने से पाठ छोटा लगने लगता है। मैंने भी जब यह ब्लॉग नया-नया बनाया था तब मैंने इसमें पच्चीसों तरह के ब्लॉग अग्रीगेटरों के कोड, स्लाइड-शो, फोटोग्राफ, अपनी पसंद की चीज़ों की लिंक्स और तरह-तरह के विजेट लगा दिए थे। मेरे ब्लॉग की पाठ्य सामग्री गंभीरता लिए होती है इसीलिए ब्लॉग को सीधा-सादा रखना ही श्रेयस्कर है। और फ़िर पिछले कुछ समय से मैं कम-से-कम में चला लेने में यकीन करने लगा हूँ, इसीलिए सबसे पहले मैंने अपने ब्लॉग पर अपरिग्रह के सिद्धांत का प्रयोग किया। आप भी अपने ब्लॉग से यहाँ-वहां के जितने भी तत्व निकाल सकते हैं उन्हें एक बार निकालकर देखें कि ब्लॉग की दर्शनीयता और उपयोगिता बढती है या नहीं। कोई भी विजेट या लिंक हटाने से पहले उसे कौपी करके सुरक्षित रख लें ताकि बाद में उसे इच्छा होने पर दोबारा लगा सकें। पठन-पाठन को पवित्र कर्म जानें। ९- उबाऊ या अनुपयुक्त शीर्षक लगाना - नया पाठक आपकी किसी उपयोगी पोस्ट को ढूंढ रहा है। वह आपकी पोस्टों की आर्काइव में जाता है लेकिन उसे वहां कुछ नहीं मिलता। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने अपनी ज़रूरी और अच्छी पोस्टों को अनुपयुक्त शीर्षक दिए हैं? "नई वेबसाइटें" शीर्षक के स्थान पर यदि आप लिखें "दस शानदार नई वेबसाइटें" तो बात में दम आ जाता है। दूसरा शीर्षक ज्यादा सूचनापरक है और भाव/रोचकता जगाता है। हो सकता है कि दोनों पोस्टों में एक ही बात कही गई हो लेकिन दूसरी पोस्ट को नज़रंदाज़ करना मुश्किल है। पोस्टों के शीर्षकों के चयन में समय और समझ दोनों लगायें। यह पोस्ट लियो बबौटा के ब्लॉग राइट ट इन से लेकर आवश्यक परिवर्तनों के साथ अनूदित की गई है। मूल पोस्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं। 150
SR No.034108
Book TitleZen Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNishant Mishr
PublisherNishant Mishr
Publication Year
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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