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________________ वचन-साहित्यका साहात्यक पारा को सजानेसे पाठकोंपर वचनोंकी अच्छी छाप पड़ेगी, उसी सीमातक, यमन कारोंने अपने वचनोंको सजाया है। वचनोंमें जहाँ अर्थ चमकता है वहीं शब्द-चमत्कार भी कम नहीं है। उनके शब्द-चयनमें कहीं-कहीं काव्यको भी लजाने वाला शब्द-लालित्य हैं । उदाहरण के लिए कुछ मूल वचनोंको यहाँ उद्धृत करें तो अनुचित नहीं होगा, जैसे:१-मनद मॉनॅय कॉनॅय मेलॅ नॅनंद नॅनहु जनन मरणव निलिसि, ज्ञानज्योतिय उदय भानुकोटिय मीरि, स्वानुभवद उदय ज्ञानशून्यदलांगद धनवनेनवे गुहेश्वरा। २-मनसिनसंशय कनसिन भूतवागि काडुवदु नोड़ा। मनसिन संशय अलिदरें कनसिन काट विट्ठोडुवटु नोडा । ३-नीनॉलिदरॅ3 कॉरडु कॉनरुवदय्या । नोनॉलिदरें वरडु यनहुदय्या । नीनॉलदर विषव अमृतहुदय्या । नोनॉलिदरें सकल पदार्थ इदरल्लाप्पुत् । ४-वचनदल्लि नामामृत तूंवि, नयनदल्लि मूरति तुंबि, मनदल्लि निम्म नेनहु तुंबि, किवियल्लि निम्म कीरति तंवि कूडल संगम देवा निम्म चरणदॉलु सॉगद बंडनुंब तुंबियगिनु । ५-करि धन अंकुश किरिदन्नबहुदेनय्या । गिरि घन वज्र किरिदन्ननहुदेनय्या । तमंध घन निम्म नेनहु किरिटॅन्न बहुदेअय्या । कूडलसंगमदेवा निम्म कृपय धनव नीवे वल्लिरि । ६--सिंहद मुंद जिगिदाटवे ? प्रलयाग्निय मुंदें पतंगदाटवे ? निम्म मुंदें नन्नाटवे कलिदेवरदेवा । ___७--तुंबिदुदु तुलुकदु नोडा । नंबिदुदु संदेहिसदु नोडा। . प्रालिदुदु प्रोसरिसदु नोडा। १. इसका हिंदी अनुवाद देखिए वचनामृ में व. सं. ६६ ___२. व. सं. ४४६ ३. व. सं. ३०२ ४. व. सं. ३१० ५. व. सं. २७४ ६. व. सं. ३१६ ७. व. सं. १४८
SR No.034103
Book TitleSantoka Vachnamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangnath Ramchandra Diwakar
PublisherSasta Sahitya Mandal
Publication Year1962
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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