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________________ गुरजिएफ अपने शिष्यों से कहा करता था : उसने इसे अपने घर पर लिख रखा था, कि जब तक तुम अपने पिता और माता का सम्मान नहीं करते, यहां प्रवेश मत करो। और गुरजिएफ जैसा व्यक्ति भी लिखने के लिए इससे श्रेष्ठ और कुछ न पा सका? 'यदि तुम अपने पिता और माता का सम्मान नहीं करते हो, तो यहां प्रवेश मत करो।' लेकिन उसने एक सरल ढंग से बहत बातें कह दी हैं। केवल वही व्यक्ति जो काम-ऊर्जा को पूरी तरह से स्वीकार करता है अपने पिता और माता का सम्मान कर सकता है। अन्यथा तो तुम दिखावा कर सकते हो, तुम सम्मान नहीं कर सकते। और यदि तुम सोचते हो कामवासना एक समस्या है, कोई बीमारी है, जिससे तुम्हें छुटकारा पाना है, तो क्या तुम अपने बच्चों से प्रेम कर पाओगे? तुम अपने बच्चों से कैसे प्रेम कर सकते हो? वे एक समस्या से, एक रोग से, आए हैं। तुम उनसे घृणा करोगे। तुम दिखावा कर सकते हो कि तुम उन्हें प्रेम करते हो लेकिन तुम जानते हो कि वे तुम्हारी समस्या की अभिव्यक्तियां हैं। वे सदैव तुम्हें एक कामुक व्यक्ति की तरह इंगित करेंगे। वे संसार में एक प्रमाण की तरह जाएंगे कि तुम पशुवत थे, कि तुम कामवासना के पार नहीं जा पाए थे। वे एक प्रमाण होंगे, तुम्हारा स्तर से नीचे गिरे होने का स्थायी प्रमाण। नहीं, मैं तुमसे कहना चाहूंगा कि कामवासना समस्या नहीं है। यह एक शुद्ध ऊर्जा है। और यदि तुम इससे बचते हो, तो निःसंदेह तुम सदैव खोजते रहोगे। तब यह एक मनोग्रस्तता बन जाएगी। फिर तुम पूर्णत: इससे ग्रसित हो जाओगे और यह एक विकृति बन जाएगी। तब जो कुछ भी तुम देखोगे, तुम्हें उसमें कामवासना ही दिखाई पड़ेगी, और कुछ भी नहीं। और तुम इतने ग्रस्त हो सकते हो कि तुम पागल हो सकते हो। फ्रायड ने कहा कि पागल होने वाले सौ लोगों में से कम से कम नब्बे लोग निश्चित रूप से कामवासना-दमित काम के कारण पागल होते हैं। कामवासना को समझा जाना है, इसे सृजनात्मक रूप से उपयोग करना है। यह जाग्रत जीवन, अग्नि, जीवंतता है। तुम्हारा निर्माण इसी से हुआ है, प्रत्येक व्यक्ति इसी से निर्मित. है। इससे बचने के लिए ईसाई लोग यह सिद्ध करने का प्रयास करते रहे कि जीसस का अब तार 'कुंवारी' मेरी से हुआ है-इसी बात से बचने के लिए कि जीसस कैसे सामान्य काम से संबंध से अवतरित हो सकते।१। और उन्हें पता है कि वे इस बात को प्रमाणित करने में सभी सफल नहीं हो सके हैं। मैं एक कहानी पढ़ रहा था: एक सुंदर युवा स्त्री एक चिकित्सक के पास आई। चिकित्सक ने उसकी जांच की और बोला : मिस 'आप गर्भवती हैं?
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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