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________________ ये समस्याएं नहीं हैं। तुमने इनको समस्याएं बना लिया है। और एक बार तुम एक सरल बात को भी समस्या की तरह देख लो, यह समस्या बन जाती है यह है नहीं। यह तुम्हारी दृष्टि, तुम्हारा देखने का ढंग है। 'अधिक समय तो मैं कामुक अनुभव करता रहता हूं और मेरी आंखें दूसरे की खोज करती रहती हैं।" तो इसमें क्या समस्या है? समस्या कहां है? यह तो इस प्रकार हुआ कि कोई भूखा व्यक्ति भोजन के बारे में सोचता है और रेस्तरांओं की खोज करता रहता है। इसमें गलत क्या है? क्या तुम कहोगे कि वह समस्याग्रस्त है और उसे इससे बाहर निकलना ही है? यदि वह समस्या से बाहर आता है तो वह मर जाएगा, उसे भोजन खोजना ही है प्रेम भोजन है, एक अति सूक्ष्म भोजन | 'अधिकतर समय तो मैं कामुक अनुभव करता हूं और मेरी आंखें दूसरे की खोज करती रहती हैं।' स्वाभाविक है। तुम भोजन खोज रहे हो, और तुम भूखे हो। लेकिन लोगों ने तुमको पढ़ाया है कि कामवासना समस्या है। यह समस्या नहीं है। यह शुद्ध ऊर्जा है। यह दिव्य है। इसमें समस्या जैसा तो कुछ भी नहीं है। यदि तुम ऊर्जा को स्वीकार न करो, यदि तुम इसके साथ प्रवाहित मत हो तो तुम समस्या निर्मित कर सकते हो और मुझे पता है, यदि तुम इसके साथ प्रवाहित हो, एक दिन तुम अतिक्रमण कर लोगे। तुम उच्चतर तल पर पहुंचोगे, तुम इस पर आरूढ़ होओगे, और तुम अधिक और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचोगे । यह एक सुंदर ऊर्जा है, जो तुम्हें परम आत्यंतिक तक ले जा सकती है, लेकिन अगर तुम इसमें से समस्या बना लो तो तुम इससे सदा-सदा के लिए ग्रसित रहोगे। और जितना अधिक तुम इसके साथ संघर्ष करोगे उतना ही अधिक कामवासना और काम-ऊर्जा तुम पर पलट वार करेगी। इसे पलट वार करना पड़ता है, क्योंकि यह जीवन संरक्षक ऊर्जा है। तुम काम ऊर्जा से निर्मित हो अगर तुम्हारे माता-पिता ने सोचा होता कि यह समस्या है, तो तुम यहां नहीं होते। तुम इसी समस्या से आए हो, तुम्हारा अस्तित्व इसी समस्या के कारण है। क्योंकि तुम्हारे माता-पिता समस्या नहीं सुलझा सके, इसीलिए तुम यहां हो। मेरे देखने में आया है कि जो व्यक्ति कामवासना को समस्या की तरह देखता है, कभी अपने मातापिता के प्रति सम्मानपूर्ण नहीं हो सकता। वह कैसे सम्मान करे? जरा देखो यह तो सीधा सा गणित है। तुम अपने पिता के प्रति सम्मानपूर्ण कैसे हो सकते हो? वे तुम्हारी मां के साथ कुछ गंदा व्यवहार कर रहे थे। वस्तुतः तुम तो उस व्यक्ति की तुरंत हत्या कर देना चाहोगे। और तुम अपनी मां का सम्मान कैसे कर सकते हो? वह भी एक कामुक व्यक्ति थी, जैसे कि कोई दूसरी स्त्री एकदम पशुवत | तुम अपनी मां के चरण स्पर्श कैसे कर सकते हो? असंभव। जब तक तुम कामवासना को एक भेंट, एक दिव्य भेंट के रूप में न स्वीकारो, तुम अपने पिता और माता का सम्मान नहीं कर सकते।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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