SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 385
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हो जाती है तो एलोपैथी इसी शरीर भौतिक शरीर पर कार्य करती है। निःसंदेह एलोपैथी के लिए यह चढ़ाई चढ़ने जैसा है। एक्युपंक्चर के लिए यह चढ़ाई से नीचे आने जैसा काम है। एक्युपंक्यर के लिए यह अधिक सरल है क्योंकि प्राण शरीर भौतिक शरीर से थोड़ा ऊंचे तल पर है। यदि प्राण शरीर को संतुलित कर दिया जाए, तो भौतिक शरीर तो बस उसका अनुसरण करता है, क्योंकि क्यू-प्रिंट तो प्राण शरीर में ही होता है। भौतिक शरीर तो प्राण शरीर का कार्यकारी उपकरण मात्र है। अब एक्युपंक्चर को धीरे धीरे प्रतिष्ठा प्राप्त हो रही है, क्योंकि सोवियत रूस में एक बहुत संवेदनशील फोटोग्राफी, किरलियान फोटोग्राफी ने मनुष्य के शरीर में प्राण ऊर्जा के सात सौ बिंदु खोज निकाले हैं, जिनकी घोषणा पिछले पांच हजार वर्षों से एक्युपक्चर - विद सदा से करते आ रहे थे। शरीर में वे प्राण ऊर्जा के बिंदु कहां हैं उनको जान पाने के कोई उपकरण उनके पास नहीं थे। लेकिन सदियों से, धीरे- धीरे प्रयास और भूल के द्वारा उन्होंने सात सौ बिंदु खोज निकाले थे। अब किरलियान ने भी वही सात सौ बिंदु वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा खोज निकाले और किरलियान फोटोग्राफी ने एक बात सिद्ध कर दी कि प्राण शरीर को भौतिक शरीर के द्वारा बदलने का प्रयास असंगत है। यह नौकर को बदल कर मालिक को बदलने का प्रयास करना है करीब-करीब असंभव है यह क्योंकि मालिक नौकर की जरा भी नहीं सुनेगा। यदि तुम नौकर को बदलना चाहते हो मालिक को बदल दो तुरंत नौकर भी बदल जाता है। प्रत्येक सैनिक को बदलने के स्थान पर बेहतर यही रहेगा कि सेनापति को बदल दो। शरीर के पास लाखों सिपाही, कोशिकाएं हैं जो बस किसी आदेश के अनुरूप, ि के सारा प्रारूप बदल जाता है। किसी अनुशासन अनुसार कार्य करने में संलग्न हैं। अनुशास्ता को बदल लो और शरीर का होम्योपैथी और अधिक गहराई में जाती है। यह मनोमय कोष, मनस शरीर पर कार्य करती है। होम्योपैथी के संस्थापक हैनिमैन ने सर्वकालिक महानतम खोजों में से एक खोज की और वह थी औषधि की मात्रा जितनी सूक्ष्मतर होती जाती है उतनी ही वह और गहराई में पहुंच जाती है। उन्होंने होम्योपैथी की औषधि को बनाने की इस विधि को 'शक्तिकरण कहा। वे औषधि की मात्रा कम करते चले जाते हैं। वह इस ढंग से कार्य करेगा वह औषधि की एक निश्चित मात्रा लेगा और इसे दस गुना मिल्क शुगर या पानी के साथ मिश्रित करेगा। एक भाग औषधि और दस भाग पानी, वह इनको मिला देगा। फिर पुन: वह इस नये मिश्रण का एक भाग लेगा और पुन: वह इसको नौ गुने पानी या मिल्क शुगर के साथ मिला देगा। इसी ढंग से वह आगे बढ़ेगा; पुन: वह नये घोल से एक भाग लेगा और उसे गुने पानी में मिला देगा। वह ऐसा करेगा और औषधि की शक्ति बढ़ेगी। धीरे-धीरे औषधि परमाणु के तल पर पहुंच जाएगी। यह इतनी सूक्ष्म हो जाएगी कि तुम विश्वास ही नहीं कर सकते कि यह कार्य कर सकती है; यह करीब-करीब मिट चुकी होती है। यही है जो होम्योपैथिक औषधियों पर लिखा होता है. शक्ति, दस शक्ति बीस शक्ति, एक सौ शक्ति एक हजार शक्ति जितनी बड़ी शक्ति होगी औषधि की मात्रा उतनी ही कम होगी। दस लाख शक्ति का अर्थ है मूल औषधि का दस लाखवां भाग ही शेष बचा है, लगभग ना - कुछ अंश है उसमें वह करीब-करीब मिट चुकी है, 1
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy