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________________ अन्य विशेष प्रकार की कोशिकाएं तुम्हारी नाक बन जाती हैं, और वे सभी एक सी हैं? भीतर अवश्य एक प्रशिक्षण होना. चाहिए-कोई अज्ञात शक्ति उनको एक विशेष उददेश्य के लिए प्रशिक्षित कर रही है। और स्मरण रखना, जब वे कोशिकाएं देखने के लिए तैयार हो रही होती हैं तो उन्होंने कुछ भी देखा नहीं होता है। जब बच्चा गर्भ में होता है उस समय वह पूरी तरह से अंधा बना रहता है। उसने जरा भी प्रकाश नहीं देखा होता है, उसकी आंखें बंद हैं। एक चमत्कार है यह देखने का कोई प्रशिक्षण नहीं हआ है और आंखें देखने के लिए तैयार हैं र देखने की कोई संभावना नहीं है और आंखें देखने के लिए तैयार है। बच्चा अपने फेफड़ों से श्वास नहीं लेता है, उसने तो जाना भी नहीं कि श्वास लेना क्या है, लेकिन फेफड़े श्वसन क्रिया के लिए तैयार हैं। इससे पहले कि बच्चा संसार में प्रवेश हेतु जाए और श्वास ले, वे तैयार हैं। इससे पहले कि बच्चा संसार में प्रवेश हेतु जाए और देखे, आंखें तैयार हैं। सभी कुछ तैयार है। जब बच्चे का जन्म होता है तो वह परम जटिलता, विशेषज्ञता और सूक्ष्मता वाला पूर्ण मनुष्य होता है। और उसका कोई प्रशिक्षण, कोई पूर्व तैयारी नहीं हुई है। बच्चे ने कभी एक श्वास तक नहीं ली होती है, लेकिन मां के गर्भ से बाहर आते ही वह चीखता है और अपनी पहली श्वास लेता है। इसके पूर्व कि कोई प्रशिक्षण दिया जाए उसकी दैहिक व्यवस्था तैयार है। कोई परम शक्ति है, कोई शक्ति है जो भविष्य की सारी संभावनाओं का लेखा-जोखा रखती है, कोई शक्ति है जो बच्चे को जीवन और भविष्य की सभी संभावनाओं का सामना करने में समर्थ होने के लिए तैयार कर रही है, जो भीतर गहरे में कार्यरत है। इस शरीर तक को अभी तक नहीं समझा गया है। हमारी सारी समझ आशिक है। अभी तक मनुष्य का वितान अस्तित्व में नहीं आ पाया है। इस संदर्भ में पतंजलि का योग कभी भी किए गए प्रयासों में मनुष्य के निकटतम है। वे शरीर को पांच परतों में, या पांच शरीरों में विभाजित करते हैं। तुम्हारे पास एक ही शरीर नहीं है, तुम्हारे पास पांच शरीर हैं, और इन पांच शरीरों के पीछे तुम्हारा अस्तित्व है। यही मनोविज्ञान में घटित हुआ है, और यही चिकित्साशास्त्र में हो गया है। एलोपैथी केवल भौतिक शरीर में, स्थूल शरीर में भरोसा करती है। यह व्यवहारवाद की भांति है। एलोपैथी स्थूलतम औषधि है। यही कारण है कि यह वैज्ञानिक हो गई है, क्योंकि वैज्ञानिक उपकरण अभी तक स्थूल को ही पकड़ पाने में समर्थ हैं। और गहराई में जाओ। चीनी औषधि-विज्ञान एक्युपंक्चर एक और परत में प्रवेश करता है। यह प्राण शरीर, प्राणमय कोष पर कार्य करता है। यदि भौतिक शरीर में कुछ गलत हो जाता है तो एक्युपंक्यर भौतिक शरीर को जरा भी नहीं छुता। यह प्राण शरीर पर कार्य करने का प्रयास करता है। यह जैव ऊर्जा, बायो-प्लाज्मा पर कार्य करने का प्रयास करता है। उस तल पर वहां यह किसी चीज को समायोजित कर देता है, और भौतिक शरीर तुरत ही भली प्रकार से कार्य करना आरंभ कर देता है। यदि प्राण शरीर में कुछ गड़बड़
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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