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________________ कि तुम कौन हो, तुम कहां हो, तुम क्या हो। यदि तुम विक्षिप्त हो, तो तुम्हारी विक्षिप्तता प्रदर्शित करते हैं। यदि तुम बुद्ध हो, तो वे तुम्हारे बुद्धत्व को प्रदर्शित करते हैं। अकेले तुम्हारे पास कोई संदर्भ नहीं होता। अकेले तुम्हारे पास कोई पृष्ठभूमि नहीं होती। अकेले में तुम नहीं जान सकते कि तुम कौन हो। मैं तुमको एक सुंदर कहानी, एक दुखांत कहानी सुनाता हूं। यह कोई असाधारण परिस्थिति नहीं थी। एक बड़ी और लाभ कमाती हुई फर्म के बॉस ने एक सुंदर युवती को नौकरी पर रखा। बीस चालीस वर्ष से कुछ अधिक आयु का अविवाहित व्यक्ति था। उसके पास एक बड़ी कार, एक शानदार फ्लैट था, और उसे संग-साथ के लिए महिलाओं की कोई कमी न थी। लेकिन उसको अपना जोड़ा इस सुंदर सचिव में दिखा। उस युवती ने बॉस के लंच या डिनर के सभी प्रस्ताव विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिए, और बॉस के मंहगे उपहार और वेतनवृदधि के प्रलोभन भी उसी गरिमा और शालीनता से अस्वीकृत कर दिए। उस युवती की नौकरी के आरंभिक सप्ताहों में बॉस ने अपने मन में राय बनाई कि वह संबंध बनाने के प्रति अनिच्छा का बस अभिनय कर रही है। इन कुछ महीनों में बॉस ने अपना साबुन, अपना टूथपेस्ट, अपना आफ्टर शेव सभी कुछ बदल डाला, किंतु कोई लाभ नहीं हुआ। अंततः उसने अपने आप को यह मानने के लिए राजी कर लिया कि वह सुंदर है और अत्यधिक कार्यकुशल है, लेकिन उसके साथ किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत संबध बन पाने की जरा भी संभावना नहीं है। फिर उस दिन वह यह देख कर बहुत हैरान हुआ कि सुबह जब वह अपने कार्यालय पहुंचा, तो उसने अपनी सचिव को अपनी मेज पर फूल सजाते हुए देखा, और इससे भी अधिक आश्चर्य तो तब हुआ जब सचिव ने उसको गंभीरतापूर्वक देखा और बोली, जन्म-दिन मुबारक हो, सर। उसने धीमे स्वर में सचिव को धन्यवाद दिया और शेष सारे दिन पूरी तरह से चकित- भ्रमित रहा। जैसे ही घड़ी की सुइयां पांच पर पहंची, सचिव कार्यालय में आई और उस स्वीकार किया कि बॉस का जन्म-दिन उसने स्टाफ फाइलों से पता लगाया था। मैं आशा करती हैं कि आप बुरा नहीं मानेंगे, उसने बात पूरी की। बॉस ने उत्तर दिया कि उसने इस बात का जरा भी बुरा नहीं माना है, तो सचिव ने राहत की श्वास ली। तब ऐसा है सर, उसने बात को जारी रखते हुए कहा, यदि आप आज रात लगभग नौ बजे मेरे घर पधार सकें तो मुझे बेहद खुशी होगी। आपके लिए मेरे पास एक छोटा सा आश्चर्य है, जो मैं सोचती हूं किए आपको बहुत अच्छा लगेगा। बॉस ने अपने आप को इस बात के लिए मानसिक रूप से बधाई दी कि अंततः युवती ने मान ही लिया कि वह उसकी ओर आकर्षित है, और बॉस ने पूरे दिन सामान्य दिखने का प्रयास किया। रात को ठीक नौ बजे हाथ में शैम्पेन की बोतल लिए हुए बॉस सचिव के फ्लैट पर पहुंचा। वह उस समय बहुत प्यारी दीख रही थी। और जब उसने स्कॉच का एक बड़ा पैग बना कर बॉस को दिया तो बॉस ने सोचा, कहीं युवती उसके जोरों से धड़कते हुए दिल की आवाज न सुन ले, युवती ने उससे कहा कि वह आराम से बैठे। यदि आपको अधिक गर्मी लग रही है तो अपने कपड़े ढीले कर लें, वह बोली,
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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