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________________ मैं जो कुछ भी कहता हूं वह हमेशा अतीत बन जाएगा। इस पल में मैंने कहा और उस पल में तुमने सुना, इस बीच यह अतीत में जा चुका होता है और जीवन बदलता चला जाता है, यह एक सतत प्रवाह है। यह किसी विराम को नहीं जानता, विश्राम को नहीं जानता । इसलिए बार-बार तुम उलझन में पड़ोगे । और मेरे साथ तो एक समस्या और भी है। यदि अगले पल में तुम वही प्रश्न पूछोगे तो भी मैं उत्तर दुबारा नहीं दूंगा। क्योंकि मैं प्रतिसंवेदित करता हूं। मैं उत्तर नहीं देता। मैं अपने पुराने उत्तर याद नहीं रखता- मैं प्रति संवेदना करता हूं। तुम्हारा प्रश्न वहां है, मैं यहां हूं मैं पुनः प्रतिसवेदना करूंगा। और अगर तुम मेरे उत्तर एकत्रित करते गए, तो तुम न केवल उलझोगे वरन तुम पागल हो जाओगे। क्योंकि उनमें तुम कोई समस्वरता या कोई सुसंगति न पाओगे। वे असंगत हैं। मैं कर भी क्या सकता हूं ? जीवन ही असंगत है। यदि मुझे जीवन के प्रति सच्चा रहना है तो मुझे अपने वक्तव्यों में असंगत होना पड़ेगा। यदि मैं अपने वक्तव्यों के प्रति सच्चा होना चाहूं तो मैं जीवन के साथ छल करूंगा। और मैं जीवन के प्रति सच्चा होना चाहूंगा। मैं अपने अतीत का विश्वास तोड़ सकता हूं लेकिन मैं वर्तमान के साथ विश्वासघाती नहीं हो सकता। मैं अपने वक्तव्यों के विपरीत जा सकता हूं लेकिन मैं वर्तमान जीवन के इस पल के विपरीत नहीं जा सकता। इसलिए उलझन तो होगी। किसी दिन में कुछ कहूंगा और किसी दिन मैं कोई और बात कह दूंगा। यदि तुम तुलना करो, अगर मेरे वक्तव्यों में संगति की खोज करो, तो तुम परेशानी में गहरी परेशानी में पड़ोगे ऐसा मत करो। तुम तो बस मुझे सुनो और मेरे उत्तरों को मत याद करो, मेरी प्रतिसंवेदना को सीखो। जो मैंने कहा उसकी चिंता मत करो, उस भंगिमा को देखो जिससे मैंने कहा है। उस ढंग को देखो जिससे मैं एक प्रश्न, एक परिस्थिति को प्रतिसंवेदित करता हूं। उत्तर नहीं बल्कि मेरी जीवंत प्रतिसंवेदना ही महत्वपूर्ण है। और अगर तुम जीवंत प्रतिसंवेदना सीख सको तो तुम उत्तरदायी हो जाते हो रिस्पासिबिलिटी शब्द का मेरा अर्थ शब्दकोश में दिए गए अर्थ से भिन्न है। शब्दकोश में रिस्पासिबिलिटी का अर्थ कर्तव्य, प्रतिबद्धता, जैसे कि तुम किसी दूसरे के प्रति जवाबदेह हो, इस प्रकार का है। यह शब्द करीब-करीब भद्दा है। मां अपने बच्चे से कहती रहती है, याद रहे, तुम्हारा उत्तरदायित्व मेरे प्रति है। पिता अपने पुत्र से कहे चला जाता है, तुम मेरे प्रति जवाबदेह हो, याद रखो। समाज व्यक्तियों से कहता रहता है, तुम हमारे प्रति समाज के प्रति जवाबदेह हो, याद रहे और तुम्हारे तथाकथित ईश्वर के अवतार भी, वे भी लोगों से कहते रहे, तुम हमारे प्रति, मेरे प्रति जिम्मेदार हो । जब मैं रिस्पॉसिबिलिटी शब्द का प्रयोग करता हूं तो मेरा अभिप्राय है तुम्हारी जीवंतता, प्रतिसवेदनात्मक जीवंतता । तुम इस पल में अपने अस्तित्व के अतिरिक्त किसी अन्य उत्तरदायी नहीं हो। तुम प्रतिसंवेदना के लिए उत्तरदायी हो। खुले हृदय से, ग्रहणशील होते हु संवेदित
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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