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________________ मैं तुमको कुछ कहानियां सुनाता हूँ एक व्यक्ति और उसकी पत्नी ने समझौता किया कि उनमें से जो भी पहले मरेगा वह वापस आएगा और दूसरे को बताएगा कि उस दुनिया में कैसा लगता है। फिर भी एक बात है, पति ने कहा, 'यदि तुम पहले मर जाओ, तो मुझे तुमसे एक वादा चाहिए कि तुम दिन के समय ही वापस आओगी।' वह भयभीत था इस समझौते में, आधे मन से सम्मिलित था। - यदि तुमने - दूसरों पर विश्वास किया है- क्योंकि दूसरे कहते हैं कि यदि तुम इस संसार में उठोगे - बैठोगे तो तुम बंधन में पड़ोगे फिर तो जहां कहीं भी तुम जाओ तुम बंधन में होओगे, क्योंकि यह तुम्हारी समझ नहीं है। समझ तुम्हें मुक्त करती है। और याद रखो, बंधन आगे चल कर नहीं घटित होता है, यह तुरंत बंध जाता है। जिस पल तुम इच्छा करते हो, ठीक उसी पल बंधन बंध जाता है। यह इच्छा से जन्मता है, और तुममें जैसे ही इच्छा उठी तुम कारागृह में बंद हो जाते हो। यदि तुम्हारे पास अंतर्दृष्टि है तो तुम तुरंत देख लेते हो कि हरेक इच्छा अपने साथ कारागृह लेकर आती है, और यह आगे चल कर नहीं होता। आगे चल कर......यह आगे चल कर का विचार उठता है क्योंकि दूसरे ऐसा कहते हैं। यह तुम्हारा स्वयं का अनुभव नहीं है, इसके अतिरिक्त और कुछ भी मूल्यवान नहीं है। ऐसा एक कोर्ट में घटित हुआ, मैंने देखा है, जज ने कठघरे में खड़े अभियुक्त से कहा कि तुमने धन चुराने के साथ-साथ बेशकीमती गहनों का सैट भी उठा लिया है। जी हां, योर आनर अभियुक्त ने प्रसन्नतापूर्वक कहा। मेरी मां ने मुझे बचपन से ही सिखाया था कि केवल धन ही प्रसन्नता नहीं लाता है। दूसरों की शिक्षाएं मददगार नहीं होने जा रही हैं। अपने अनुसार तुम उनका सारा अर्थ बदल लोगे। ऐसा अचेतनता में घटेगा, चेतन रूप से नहीं। तुम धम्मपद पढ़ते हो, तुम बुद्ध के वचन नहीं पढ़ते, तुम अपनी व्याख्याएं पढ़ते हो। तुम पतंजलि के योग सूत्र पढ़ते हो, तुम पतंजलि को नहीं पढते, तुम पतंजलि के माध्यम से अपने आप को पढ़ते हो। इसलिए यदि तुम अज्ञानी हो तो तुम पतंजलि में कुछ ऐसा खोज लोगे जो तुम्हारे अज्ञान की सहायता करता हो। यदि तुम लोभी हो तो तुम पतंजलि में कुछ ऐसा खोज लोगे जो तुम्हारे लोभ में सहायक हो। यदि तुम लोभी हो, तो तुम कैवल्य के प्रति, मोक्ष के प्रति, निर्वाण के प्रति लोभ से भर सकते हो। यदि तुम अहंकारी हो तो तुम कुछ ऐसा खोज लोगे जो तुम्हारे अहंकार की सहायता करता हो। तुम एक बड़े स्वतंत्र व्यक्ति बनना आरंभ कर दोगे । तुम निर्भर कैसे हो सकते हो.......ऐसा महान व्यक्ति । तुम किसी और पर निर्भर कैसे हो सकते हो? - तुम्हें आत्मनिर्भर होना पड़ेगा चाहे तुम कुछ भी पढ़ लो, चाहे कुछ भी सुन लो, जब तक तुम अपने स्वयं के जीवन को समझना आरंभ नहीं करते उसमें तुम सदैव अपने आप को पाओगे।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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