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________________ काम से बचाव के लिए कहानियों का अविष्कार कर लिया गया है। बच्चों से बात करना कि बच्चा कैसे जन्म लेता है, कठिन है, और यह बनावटीपन का आरंभ, पाखंड की शुरुआत है। अभी या फिर कभी बच्चा इसकी खोज कर लेगा और वह भी यह खोज लेगा कि माता और पिता झूठ बोल रहे थे। किसलिए? वे इतने जीवंत तथ्य को क्यों छिपा रहे थे? और यदि वे इतने जीवंत तथ्य के बारे में झूठे हैं तो और बातों के बारे में क्या? एक बार छोटे बच्चे के मन में संदेह उठ जाए कि उसके साथ छल किया गया है, वह श्रद्धा करने की क्षमता खो देता है। और फिर तुम उससे कहे चले जाते हो कि परम पिता परमात्मा में जिसने हम सभी को रचा है, जो वहां स्वर्ग में है-श्रद्धा रखो, और वह असली पिता में जो इसी घर में रहता है, और जो धोखेबाज है, में ही भरोसा नहीं कर सकता। वह पिता में, परमात्मा रूपी पिता में कैसे भरोसा कर सकता है? असंभव। नहीं, यही मुझको सुनते हुए म्हें जीवन की, जैसा यह है, समझ पर आना: पड़ेगा। मैं इसके बारे में कोई सिद्धांत नहीं गढ़ रहा हूं। मेरी किसी परिकल्पना के व्यवसाय में कोई रुचि नहीं है। मैं तो तुमको तथ्य दे रहा हूं। और वे सरल हैं, क्योंकि तुम उनको सुन सकते हो। तुम अपने जीवन में जो कुछ भी कर रहे हो.. .यदि तुम एक बड़े कवि हो, यह काम-ऊर्जा है जो काव्य में रूपांतरित है। गई है, और कुछ नहीं, क्योंकि तुम्हारे लिए एक मात्र यही ऊर्जा उपलब्ध है। यदि तुम एक बड़े चित्रकार है।, तो यह काम-ऊर्जा है जो रंगों में कैनवास पर चित्रित हो रही है। यदि तुम एक बड़े चित्रकार हो को यह काम-ऊर्जा ही है जो पत्थर और संगमरमर से सुंदर कलाकृतियां निर्मित कर रही है। यदि तुम गायिक हो, तो यह काम-ऊर्जा गीत बन रही है। एक नर्तक, यह कामऊर्जा का नृत्य है। जो कुछ भी तुम हो, ही यह इस प्रकार से, उस प्रकार से काम-ऊर्जा का रूपांतरण, मार्गान्तरीकरण हैं-तुम्हारी प्रार्थना भी, तुम्हारा ध्यान भी। काम प्रारंभ है, समाधि समापन है। लेकिन ऊर्जा वही है। समाधि है काम अपने उच्चतम शिखर पर, और काम है समाधि अपने निम्नतम तल पर। एक बार तुम इसे समझ लो फिर तुम जान लेते हो कि व्यक्ति को किस भांति उच्चतर आयाम में विकसित होना है। किसी को भी इनकार नहीं करना है, प्रत्येक का उपयोग किया जाना है। सीडी का प्रत्येक पायदान, यहां तक कि सबसे निचला भी, उपयोग किया जाना है, क्योंकि इसके बिना सीढ़ी का अस्तित्व ही न रहेगा। हो इसी पर आधारित है। यदि तम अपने जीवन से कछ भी काट देते हो, तम कभी पूर्ण नहीं होओगे और तुम कभी पवित्र नहीं होओगे। वह भाग जिसका इनकार कर दिया गया है, हमेशा पुन: स्वीकृति के लिए उपस्थित रहेगा और यह भाग तुम्हारे विरुद्ध विद्रोह करता चला जाएगा और तुम्हारे विरोध में संघर्ष करता रहेगा।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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