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________________ यह एक महत् ऊर्जा, परमात्मा की भेंट है। इसमें अनेक खजाने छिपे हुए हैं। इसे सीखना पड़ता है, पुस्तक को खोलना पड़ता है, व्यक्ति को इसके भीतर जाना पड़ता है, इसको गहराई से अध्ययन करके, गहराई से समझना पड़ता है अनंत जीवन की कुंजी छिपी है इसमें। अब तुम मेरे पास आ गए हो, मैं समझ पर जोर दिए चला जाता हूं। एक खास किस्म की बौदधिक समझ तुम्हारे भीतर पैदा हो जाती है। किंतु पुरानी संस्कारिता भी जारी रहती है। कोई ऐसा नहीं है कि तुम्हें केवल इसी जन्म में संस्कारित किया गया हो, सदियों से, अनेक जन्मों से तुम्हें संस्कारित कर दिया गया है। यह संस्कारिता करीब-करीब तुम्हारा दूसरा स्वभाव बन चुकी है। यह शब्द 'काम' और तुम्हारे भीतर कुछ बेचैन होने लगता है। यह शब्द ही तुम्हारे भीतर एक प्रतिक्रिया निर्मित कर देता है। बिना किसी वासना के इसके बारे में बात करना भी कठिन है। वस्तुगत रूप से इसके बारे में बात करना कठिन है। वैज्ञानिक रूप से इसके बारे में बात करना कठिन है। इस ढंग से या उस ढंग से तुम इसमें वासनापूर्वक संलग्न हो जाते हो। सारे विचारों, पूर्वाग्रहों को छोड़ दो जरा इसकी तथ्यात्मकता की ओर देखो तुम्हारा जन्म काम - ऊर्जा से हुआ है जब तुम्हारा जन्म हुआ तो तुम्हारे माता-पिता कोई प्रार्थना नहीं कर रहे थे। वे संभोग कर रहे थे और वे किसी गिरजा घर या मंदिर में नहीं थे तुम इस बारे में कभी नहीं सोचते; लोग ऐसी बातों को सोचने से बचते हैं। तुम्हारे लिए इसकी कल्पना करना कठिन होगा कि तुम्हारे माता और पिता संभोग कर रहे थे असंभव! ये तो दूसरे लोग गंदे लोग हैं जो संभोग करते हैं तुम्हारे पिता और माता ? कभी नहीं । - इसीलिए सारे संसार में अनेक कहानियां प्रचलन में रही हैं एक बच्चे का जन्म होता है और दूसरे बच्चे पूछते हैं, यह बच्चा कहां से आया है? तुमको उन्हें बनावटी उत्तर देना पड़ते हैं-क्रौंच पक्षी, या झाड़ी, या देवताओं ने उसे रसोई की चिमनी से गिरा दिया है। मैंने सुना है कि मां गर्भवती हो गई और दादी को छोटे बच्चे के बारे में चिंता पकड़ गई कि आज नहीं तो कल वह पूछेगा। इसलिए वह उसे तैयार करना चाहती थी। वह उस बच्चे को एक ओर ले गई और उससे कहा, क्या तुम जानते हो कि तुम्हारी मां को भगवान की ओर से पुन: एक महान भेंट मिलने वाली है। यह एक पोटली में आएगी और रात में रसोई की चिमनी के छेद से, जब सभी लोग सो रहे होंगे, इसे तीस दिया जाएगा। बच्चे ने कहा : यह ठीक है, लेकिन मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं। भगवान को वह पोटली ज्यादा शोरगुल से मत फेंकने दीजिएगा क्योंकि मेरी मां गर्भवती है। रात में वह बहुत अधिक व्याकुल हो सकती है। इस काम को कम से कम शोर में होना चाहिए।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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