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________________ मैंने सुना है, इंगलिश औद्योगिक नगर में भेजे गए रूसी व्यापार प्रतिनिधि मंडल का कामरेड कोहेन एक सदस्य था। एक शाम रूसी लोग स्थानीय कामगारों के क्लब में मेहमान थे। इस क्लब के सदस्यों में से एक था जो छब, जो निष्ठावान युवा समाजवादी था, वह कामरेड कोहेन को चतुराई से अपने साथ एक कोने में ले गया। कामरेड कोहेन, यवा छब ने कहा, मैं समझता हं कि आप एक भले यहदी हैं, मैं समझता हं आप।'क समझदार व्यक्ति हैं, मैं समझता हूं कि आपमें उल्लेखनीय राजनैतिक चतुराई है। अब क्योंकि आपमें ये सभी श्रेष्ठ गुण हैं, तो अरब-इजरायली संघर्ष पर सोवियत दृष्टिकोण के बारे में आपकी राय जानना, और लोकतांत्रिक इजरायलियों के विरोध में मिश्री फासिस्टों को रूसी क्यों समर्थन दे रहे हैं, यह जानना मेरे लिए बेहद रुचिपूर्ण होगा। कामरेड कोहेन ने कोई उत्तर न दिया। जरा सा कंधे उचका दिए। लेकिन कामरेड कोहेन मान भी जाइए, जो छब ने अपनी बात पर बल देते हुए कहा, आखिरकार आप यहदी हैं। आपके देश के, आपकी पार्टी के अधिकृत दृष्टिकोण के बावजूद आपके पास अपनी राय होनी चाहिए कि न्याय कहां है कौन सा कारण उचित है। लेकिन कामरेड कोहेन ने कुछ न कहा, एक शब्द भी नहीं। जो छब और निकट झुका। करीब-करीब खुशामदी लहजे में वह बोला, लेकिन निश्चित रूप से कामरेड कोहेन आपकी कोई न कोई राय अवश्य होगी। कामरेड कोहेन अपनी कुर्सी में जरा सा कसमसाए और इस युवक को स्थिर दृष्टि से देखा और उन्होंने अपना मौन तोड़ा, कामरेड छब, वे बोले, मेरी एक राय है, वे रुक कर बोले, लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। अब अधिकतर लोगों की ऐसी ही हालत है। तुम्हें पता है कि तथ्य क्या है, लेकिन तुम इससे सहमत नहीं हो, क्योंकि तुम्हें इससे राजी न होने के लिए तैयार कर दिया गया है। सत्य जैसा है वैसा तुम उसको जानते हो, लेकिन तुम्हें उसके बारे में पूर्वाग्रहग्रस्त होने के लिए संस्कारित कर दिया गया है। जरा सारे पूर्वाग्रहों को एक ओर रख दो। बस जीवन को देखो भर। जीवन को तुम्हारे ऊपर इस भांति अभिव्यक्त होने दो जैसे कि तुम कभी संस्कारित नहीं किए गए थे, जैसे कि तुम किसी अन्य ग्रह से पृथ्वी पर बस अभी आए हो। और तुम बस देखो बिना किसी विचारधारा की पृष्ठलुक् के-हिंदू ईसाई, मुसलमान के बिना। अतीत के बिना, वर्तमान पर दृष्टि डालो। अतीत को वर्तमान में अवरोध मत उत्पन्न करने दो। वह जो है उसे स्वयं को तुम्हारे ऊपर अभिव्यक्त करने दो।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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