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________________ इसीलिए माताएं अपनी पुत्र-वधुओं को कभी माफ नहीं कर सकती हैं। असंभव। क्योंकि सहारे का आखिरी तिनका भी-उन्होंने उनके पुत्र को पूर्णत: मां से छीन लिया गया है। अब पुत्र संपूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया है। उसका अपना स्वयं का परिवार है, उसने अपनी स्वयं की दुनिया बसा ली है। अब वह मां से और अधिक आसक्त नहीं रहा है। ठीक-ठीक यही घटना चेतना के संसार में घट रही है। मनुष्य को मां से दूर जाना पड़ता है। और स्मरण रखना कि परमात्मा माता अधिक है पिता के बजाय। मनुष्य का जन्म परमात्मा के गर्भ से हआ है, तब वही देखभाल करता है। जरा देखो, वह वृक्षों की अधिक देखभाल, पशुओं की अधिक देखभाल, पक्षियों की अधिक देखभाल करता है-यही तो है गर्भ। ये लोग अभी भी गर्भ के भीतर हैं। मनुष्य के बारे में वह इतना सावधान नहीं है; मनुष्य को स्वतंत्र होना पड़ेगा। क्या तुमने नहीं देखा है कि मनुष्य का जन्म संसार के सबसे असहाय जीव की भांति होता है? क्योंकि परमात्मा अपनी सहायता वापस ले रहा है, स्वयं को हटा ले रहा है। वृक्ष उसके गर्भ में हैं, पक्षी उसके गर्भ में हैं, पशु उसके गर्भ में हैं। वे मनुष्य के पूर्वज हैं।। पुनर्जन्म का, विकास का सारा सिद्धात यही है। पूरब में हम कहते है कि प्रत्येक व्यक्ति इन सभी स्थितियों से होकर गुजर चुका है। कभी तुम शेर थे, कभी तुम कुते थे, कभी तुम एक वृक्ष थे, और एक बार तो तुम चट्टान भी थे। फिर तुम मनुष्य हो गए। मनुष्य का अभिप्राय है कि तुम गर्भ से बाहर आ गए। ईडन का बगीचा परमात्मा का गर्भ है। अदम को निष्कासित किया गया। हूं-......निष्कासन शब्द अच्छा नहीं है। यदि हमने पूरब में बाइबिल की कहानी लिखी होती, तो हमने कहा होता ईश्वर ने मनुष्य को अपने से अधिक दूर विकसित होने के लिए भेजा। क्योंकि यदि तुम लगातार अपनी मां के चारों ओर घूमते रहो, तो विकसित होना कठिन है। यदि तुम लगातार मां के दूध पर ही जीते रहो, तो विकसित होना असंभव हो जाएगा। तुम बचकाने रहोगे। और तुमको किसी स्त्री के प्रेम में पड़ना पड़ता है, वह भी इतना अधिक कि यदि वह स्त्री कहती है कि अपनी मां की हत्या कर दो, तुम अपनी मा की हत्या करने के बारे में सोचना शुरू कर दोगे। इसी प्रकार से ईव ने अदम को फुसलाया, 'इस फल को खा लो।' इस कहानी की क्या अर्थवत्ता है? अर्थवता यह है कि अदम ने ईश्वर के आदेश के विस्ज ईव की राय को चुना। सरल है यह बात। उसने कहा, ठीक है, उस बूढ़े आदमी को छोड़ दो। चिंता मत लो। उसने मुर्ख ईव की राय को चुन लिया। और निःसंदेह स्त्रियां बहुत तर्कयुक्त नहीं होती हैं, वे भावुकताओं में जीती हैं। उसे राय दी गई एक सांप दवारा। हं.......जरा इसकी असंगतता को तो देखो-बस एक भावुकता। लेकिन जब कोई पत्नी जोर देती है तो पति को बात मानना ही पड़ती है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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