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________________ सकता है अदम बहुत अधिक आज्ञाकारी हो और शायद न खाए; इसीलिए सांप.. .उसको एक वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी। ईश्वर ने यह अवश्य अनुभव कर लिया होगा कि अदम अत्याधिक विनम्र, आशाकारी अच्छा लड़का प्रतीत होता है, तो उसे एक लड़की ईव और एक सांप को बीच से लाना पड़ा। सांप ईव को उकसाता है और ईव अदम को उकसाती है। अब यह मामला सरल हो गया। अदम ईव पर उत्तरदायित्व डाल सकता है, ईव सांप पर जिम्मेवारी थोप सकती है। और निःसंदेह सांप बोल नहीं सकते-वे बाइबिल नहीं लिख सकते और वे ईश्वर पर उत्तरदायित्व नहीं डाल सकते। लेकिन उत्तरदायित्व उस ईश्वर का ही है। एक ही अधर्म है और वह है जीवन को, प्रेम को इनकार करना। और केवल एक ही धर्म है और वह है इसे इसकी समग्रता में स्वीकार करना और निर्भय होकर इसमें संलग्न हो जाना। इसलिए यह दृष्टिकोण हानिकारक है। 'कैसे? क्यों? किसलिए कुछ भी स्पष्ट नहीं है।' लेकिन इसको स्पष्ट क्यों होना चाहिए? पहली बात तो यह है कि तुम यह क्यों चाहते हो कि इसे स्पष्ट होना है। और यदि यह नितांत स्पष्ट हो जाए, तो सारी बात खो जाएगी, सारा खेल खत्म हो जाएगा। यदि हरेक बात अत्याधिक स्पष्ट हो, तो फिर कोई विकल्प नहीं होता। तब तुम भटक नहीं सकते। फिर तुम हमेशा ठीक काम करोगे यदि सब कुछ पूर्णत: स्पष्ट हो। फिर तुम ठोकर नहीं खा सकते, फिर तुम अंधकार में नहीं जा सकते, और परमात्मा से अधिक दूर नहीं जा सकते हो। लेकिन वह चाहता है कि तुम अधिक दूर जाओ, क्योंकि केवल तभी जब तुम बहुत, बहुत दूर चले गए हो तभी घर वापस लौटने की प्यास जगती है। वास्तव में आधुनिक मनोविज्ञान बिलकुल ठीक यही कह रहा है कि प्रत्येक बच्चे को मां से दूर जाना पड़ता है। पहले बच्चा गर्भ में है, फिर एक दिन उसे गर्भ से बाहर आना पड़ता है। वह मां से बहुत दूर जाने का आरंभ है। अब वह और अधिक मां का भाग नहीं रहा। फिर गर्भनाल काट दी जाती है, वह स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करना आरंभ कर देता है। लेकिन फिर भी वह मां से, स्तन से चिपकेगा, क्योंकि अब भी वही उसका पूर्ण अस्तित्व है-गर्भ से बाहर आने के बाद भी। लेकिन फिर भी वह मां से चिपकता रहेगा, वह मातृत्व के परिवेश में रहेगा। लेकिन फिर उसे भी विदा होना पड़ेगा। बच्चा बड़ा हो रहा है। एक दिन दूध रुक जाता है, स्तन वापस ले लिया जाता है, और मां बच्चे को और अधिक आत्मनिर्भर होने के लिए बाध्य करती है। अब उसे अपना स्वयं का भोजन चनना है और उसे अपना स्वयं का भोजन चबाना है। फिर और भी-उसे विद्यालय यां छात्रावास में जाना पड़ता है। फिर और दूर, वह और दूर चला जाता है। फिर एक दिन वह किसी स्त्री के प्रेम में पड़ जाता है; यह अंतिम कदम है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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