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________________ ये सभी बस प्रतीक हैं।.. .हूं. .इन प्रतीकों को बहुत अधिक न फैलाओ, न खींचो। क्या घटता है, बस वे इसका सूक्ष्म संकेत देने के लिए हैं। सच्चाई तो यह है कि इसे कहा ही नहीं जा सकता। तो क्रमागत समय है-राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र, धन, वस्तुएं बुद्धि, बाजार, वाल स्ट्रीट। मनोवैज्ञानिक समय है-स्वप्न, पुराण, काव्य, प्रेम, कला, भाव, चित्रकारी, नृत्य, नाटक। वास्तविक समय है-अस्तित्व, विज्ञान और धर्म। विज्ञान अस्तित्व में विषयगत दिशा से प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है और जं,उसी सच्चाई में विषयीगत दिशा से प्रवेश का प्रयास है, और योग दोनों का संश्लेषण है। 'साइंस' शब्द सुंदर हैं, इसका अर्थ है : देखने की क्षमता। इसका कोक अर्थ वही है जो भारतीय शब्द 'दर्शन' का अर्थ है। दर्शन शब्द को फिलासफी की भांति अनुवादित नहीं किया जाना चाहिए; इसे और ठीक ढंग से साइंस, देखने की क्षमता के रूप में अनुवादित करना चाहिए। विज्ञान परम में वस्तु के माध्यम से प्रविष्ट होने का प्रयास कर रहा है बाहर की ओर से। धर्म उसी परम में विषयी के माध्यम से प्रविष्ट होने का प्रयास कर रहा है। और योग उच्चतम संश्लेषण है, योग दोनों है-धर्म और विज्ञान दोनों साथ-साथ। योग विज्ञान से परे है और धर्म के पार है। योग न हिंदू है, न मुसलमान, न ईसाई-यह धर्मों के परे है। और निसंदेह यह विज्ञान से भी आगे है, क्योंकि यह मनुष्य का विज्ञान है-यह स्वयं वैज्ञानिक का विज्ञान है। यह परम को स्पर्श करता है। यही कारण है, मैं इसे अल्फा और ओमेगा, आदि और अंत, यनियो मिष्टिका, रहस्यमय मिलन, परम संश्लेषण कहता हैं आज इतना ही। प्रवचन 88 - समलैंगिकता के बारे में सब कुछ प्रश्नसारः 1-यदि मृत्यु ही आनी है, तो जीने में क्या सार है?
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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