SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मर गए, और लोग तुम्हारी शवयात्रा में जा रहे हैं-सभी कुछ एक साथ देख लेता है। सभी कुछ एक साथ दिखाई दे जाता है। समझने में दुरूह है यह बात लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? एक बच्चे का जन्म हो रहा है। इसी क्षण अभी उसकी मृत्यु कैसे हो सकती है? वह या तो बच्चा है, या युवक है या वृद्ध है; या तो गर्भ में है या ताबूत में है, या तो पालने में है या कब में है। क्योंकि यह हमारा विभाजन है, क्योंकि हम सच्चाई को नहीं देख सकते। सोवियत रूस में एक वैज्ञानिक ने कलियों का इतनी संवेदनशील फिल्म पर चित्र उतारा है, ऐसा प्रयास पहले कभी किसी ने नहीं किया था, और चित्र फूल का आया है। चित्र कली का उतारा गया है लेकिन चित्र में फूल आ गया है। अभी भी यह कली है। क्या हुआ है? क्योंकि साथ ही साथ कली फूल भी है। तुम इसे नहीं देख सकते, क्योंकि तुम केवल खंडों में देखते हो, पहले तुम इसे कली की भांति देखते हो, फिर कुछ पंखुड़ियां खुलती हैं, फिर कुछ और खुलती हैं, फिर कुछ और खुलती हैं, फिर पूरा फूल खिल जाता है। लेकिन एक बहुत संवेदनशील कैमरे से किरलियान फोटोग्राफी ने सत्य में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान कर दी है। तुम एक कली का चित्र उतार सकते हो और फूल का चित्र आ जाता है। क्योंकि जब कली वहां है, कहीं गहरे में कली के चारों ओर, ऊर्जा के रूप में फूल पहले ही खिल चुका है। उसकी दृश्य पंखुड़ियां इसका अनुगमन करेंगी, लेकिन ऊर्जा क्षेत्र पहले ही खिल चुका है। यह वहां है। और बाद में जब असली फूल खिला; वे यह देख कर हैरान रह गए कि पहले लिया गया चित्र आत्यंतिक रूप से ठीक वही था। बाद में वे इसकी असली फूल से तुलना कर सके जो ठीक पूर्व में उतारे गए चित्र का प्रतिरूप था। कभी किसी दिन ऐसा संभव हो सकेगा कि हम एक बीज का चित्र उतारें और एक ही चित्र न आए बल्कि अनेक चित्र आ जाएं बीज का, अंकर का, कलियों का, फूलों का, वृक्ष का, और वृक्ष के गिर जाने का, और उस वृक्ष के मिट जाने का। 'तारक.. सर्वथाविषयक्रम.. '-सामान्यत हम प्रत्येक चीज को क्रमिक प्रक्रिया में, क्रम में, क्रमबद्ध प्रक्रिया में देखते हैं-एक बच्चा युवा होता है, युवक वृद्ध हो जाता है-धीरे- धीरे, जैसे कि पर्दे पर कोई फिल्म धीरे-धीरे दिखाई जा रही हो। इसी भांति हम इसे देखा करते हैं। लेकिन परम ज्ञान पूर्ण और निरपेक्ष है। एक ही क्षण में सब कुछ उदघाटित हो जाता है। आमतौर से हम अंधेरी रात में एक छोटी टार्च लेकर घूमते हैं। जब यह टार्च हमें एक वृक्ष दिखाती है, तो दूसरे वृक्ष अंधकार में छिपे होते हैं। जब यह टार्च दूसरे वृक्षों की ओर मुड़ती है, तो पहले वाला वृक्ष अंधकार में चला जाता है। तुम रास्ते का केवल एक भाग ही देख पाते हो। लेकिन परम ज्ञान बिजली चमकने की तरह है अचानक तुम एक दृष्टि में ही सारा जंगल देख लेते हो।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy