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________________ सोचते हैं, क्योंकि समस्याएं हैं इसीलिए वे भीतर नहीं जा रहे हैं। असली बात बिलकल दसरी है; क्योंकि वे भीतर जाना नहीं चाहते, वे समस्याएं निर्मित करते हैं। इस समझ को अपने भीतर जितना संभव हो सके उतनी गहराई तक उतर जाने दो, तुम्हारी सभी समस्याएं बनावटी हैं। मैं तुम्हारी समस्याओं का, बस शिष्टाचारवश उत्तर दिए चला जाता हूं। वे सभी बनावटी, बुनियादी रूप से अर्थहीन हैं। लेकिन वे तुमको स्वयं की उपेक्षा करने में सहायता देती हैं, वे तुम्हें भटकाती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि कोई भीतर कैसे जा सकता है? पहले तो इतनी सारी समस्याएं पड़ी हैं सुलझाने के लिए। लेकिन एक समस्या सुलझती है कि तुरंत दूसरी उठ खड़ी होती है। और यदि तुम निरीक्षण करो, देखो, तो तुम्हें पता लगेगा कि दूसरी समस्या में भी वही गुणधर्म है जो पहली में था। इसको सुलझाने का प्रयास करो; तीसरी आ जाती है, विकल्प तुरंत तैयार है। मैं तुमसे एक कहानी कहता हूं : मनोचिकित्सक : तुम किशोरवय बच्चे एक उपद्रव हो। तुम्हारी भीतर उत्तरदायित्व की कोई भावना ही नहीं है। भौतिक पदार्थों के बारे में भूल जाओ और विज्ञान, गणित और उन जैसे विषयों के बारे में सोचो। तुम्हारी गणित कैसी है? रोगी : कोई बहुत अच्छी तो नहीं है। मैं तुम्हारी तथ्यात्मक सूचना के लिए एक परीक्षण करूंगा। अब मुझे कोई नंबर बताओ। रायल 3447, यही वह स्टोर है जिसमें मेरी प्रेमिका कार्य करती है। मझे कोई फोन नंबर नहीं चाहिए, बस कोई साधारण सा नंबर बता दो। ठीक है, सैंतीस। यह ठीक है, अब कृपया दूसरा नंबर बताओ। बाईस। और फिर। सैंतीस। अच्छा, ठीक है, देखो यदि तुम चाहो तो तुम्हारा मन दूसरी दिशाओं में भी कार्य कर सकता है। बिलकुल ठीक, 37, 22, 37, क्या फिगर है?
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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