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________________ न्यूयार्क में एक लड़की ने ऐसा ही किया। वह लड़की एक बिल्डिंग की चालीसवीं मंजिल की खिड़की से कूद पड़ी - बस, फिर न्यूटन का सिद्धांत काम कर गया। फिर तुम वृक्ष की तरह ऊपर नहीं बढ़ सकते, तुम फल बनकर नीचे आ गिरते हो। फिर पृथ्वी पर आकर गिर जाते हो और टुकड़े-टुकड़े हो जा हैं। नशे का खतरा यही है। क्योंकि नशे की हालत में व्यक्ति के अज्ञात की कुछ झलकिया, सत्य की कुछ झलकियां मिलती हैं लेकिन नशे की हालत में होश नहीं होता है। नशे की हालत में व्यक्ति कुछ भी ऐसा काम कर सकता है, जो खतरनाक सिद्ध हो। लेकिन ध्यान की अवस्था में ऐसा कभी भी नहीं हुआ है, क्योंकि ध्यान में दो बातें एक साथ घटित होती हैं: ध्यान एक तो व्यक्ति के सामने नए-नए आयाम खोल देता है, और साथ ही होश और जागरूकता को भी बढ़ा देता है। इसलिए उन नए आयामों के साथ इस बात का भी होश बना रहता है कि शरीर भी विद्यमान है। इस तरह से दो आयामों में बंटना हो जाता है। एक दिन, एक बहुत ही मोटे स्थूलकाय सज्जन अपने टेनिस खेलने की तकनीक के विषय में बातचीत कर रहे थे।’मेरा मस्तिष्क मुझे बताता जाता है कि तेजी से आगे दौड़ना है, कि अभी ऐसा करना है, कि अभी वैसा करना है, कि गेंद को तेजी से जाली पर मारना है।' 1 मैंने उनसे पूछा, और फिर क्या होता है?' वे बोले, 'और फिर?' वे सज्जन तो बहुत उदास हो गए और बोले, 'मेरा शरीर कहता है क्या मुझे करना होगा यह सब ?' ध्यान रहे, तुम शरीर और चेतना दोनों ही हो। तुम दो आयामों में फैले हुए हो। तुम पृथ्वी और आकाश, पदार्थ और परमात्मा के मिलन हो। इसमें कुछ पागलपन नहीं है। यह एक सीधा सत्य है। और कई बार ऐसा होता है, चूंकि कई बार ऐसा हुआ है, तो अच्छा होगा कि मैं तुम्हें इस बारे में सजग करदू कई बार सच में ही ऐसा होता है कि शरीर थोड़ा ऊपर उठ जाता है। बेवेरिया में एक स्त्री है, जो ध्यान करते समय चार फीट ऊपर उठ जाती है। उसका सभी तरह से वैज्ञानिक परीक्षण किया गया और पाया गया कि किसी भी ढंग से वह स्त्री कोई धोखा नहीं दे रही है। वह स्त्री कोई चार पांच मिनट तक चार फीट ऊपर हवा में लटकी रहती है। - यह योगियों के सर्वाधिक प्राचीन अनुभवों में से एक अनुभव है। ऐसा कभी – कभी ही होता है, लेकिन पहले भी ऐसा हुआ है और अभी भी कई बार ऐसा होता है तुम में से भी किसी को भी ऐसा हो सकता है। अगर ऊपर की ओर ज्यादा खिंचाव हो जाए तो संतुलन बिगड़ जाता है, और तब ऐसा होता है। यह कोई अच्छी बात नहीं है। और न ही ऐसा करने का प्रयास करना, और न ही ऊपर उठने की आकांक्षा करना। यह एक तरह का असंतुलन है, और जो जीवन के लिए खतरनाक भी हो है। जब ऊपर के आयाम का खिंचाव बहुत ज्यादा हो जाता है और गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव उससे
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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