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________________ भर सकते हो... और पूरा आकाश तुम्हारा है। लेकिन जब अचानक आंखें खोलते हो, तो शरीर वहां पर मौजूद होता है। पृथ्वी भी, गुरुत्वाकर्षण भी सभी कुछ वहां मौजूद होता है जब आंख बंद करके ध्यान में डूबे हुए थे, तो शरीर भूल गया था। तुम एक अलग ही आयाम में, सुंदर आयाम में विचरण कर रहे थे। ये दोनों बातें ठीक से समझ लेना गुरुत्वाकर्षण का नियमः तुम्हें नीचे की ओर खींचता है, परमात्मा का प्रसाद वह नियम है जो तुम्हें ऊपर खींचता है। विज्ञान अभी तक उसे खोज नहीं सका है, और शायद वह इस दूसरे नियम को कभी खोज भी नहीं सकता है। उसने एक ही नियम को गुरुत्वाकर्षण के नियम को ही खोजा है। , तुमने कथा सुनी है न ऐसा हुआ कि नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है-न्यूटन बगीचे में बैठा था, और एक सेब पेड से नीचे गिरा। उस सेब को गिरते हुए देखकर, न्यूटन सोचने लगा, सेब पृथ्वी पर ही क्यों गिरता है? सीधे पृथ्वी की ओर ही क्यों आता है? इधर-उधर क्यों नहीं गिरता है? सेब ऊपर की ओर क्यों नहीं जाता है? और उसके साथ ही गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज हुई कि पृथ्वी के पास खींचने की एक शक्ति है और वह प्रत्येक चीज को अपनी ओर खींचती है। लेकिन न्यूटन ने नीचे गिरते हुए फल को तो देखा, लेकिन उसने ऊपर की ओर बढ़ते वृक्ष को नहीं देखा। यह बात मुझे हमेशा खयाल में आती है जब भी मैंने यह कथा पढ़ी, मैंने हमेशा अनुभव किया कि उसने छोटे से फल को पृथ्वी पर गिरते हुए तो देखा, उसने वृक्ष को ऊपर उठते हुए नहीं देखा । एक पत्थर को ऊपर फेंको, तो वह वापस नीचे आ जाता है, यह सत्य है। लेकिन एक वृक्ष ऊपर और ऊपर बढ़ता चला जाता है। कोई ऐसी चीज होती है जो वृक्ष को ऊपर खींचती है। पत्थर मृत होता है, वृक्ष जीवंत होता है। जीवन ऊपर, और ऊपर, और और ऊपर बढ़ता चला जाता है। - इसी पृथ्वी पर मनुष्य ने अपनी चेतना के उच्चतम शिखर को छुआ है। जब संसार से दृष्टि हट ज है, और जब तुम ध्यान में प्रार्थना में आनंद की अवस्था में होते हो तो अचानक शरीर वहा पर नहीं रह जाता। तुम अपने भीतर के वृक्ष के प्रति सजग हो जाते हो, और वह ऊपर, और ऊपर बढ़ा है, और अचानक तुम्हें लगता है कि तुम उड़ सकते हो। इसमें कोई पागलपन नहीं है, लेकिन कृपा करके ऐसा करने की कोशिश मत करना। खिड़की से छलांग लगाकर मत उड़ने लगना। तब तो यह पागलपन होगा। कुछ लोगों ने एल एस डी और मारिजुआना के नशे के प्रभाव में आकर ऐसा किया है। ध्यान की अवस्था में किसी ने ऐसा कभी नहीं किया है। यही तो है ध्यान का सौंदर्य, और नशों का यही खतरा है। कुछ लोगों को नशीली दवाओं के प्रभाव में, किसी रासायनिक नशे के गहरे प्रभाव में परमात्मा की झलक मिलने का भ्रम हुआ है, और उन्हें ऐसा लगता है कि वे उड़ सकते हैं। वे लोग शरीर को भूल जाते हैं। और कुछ लोगों ने ऐसी कोशिशें की हैं
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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