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________________ में कौशल का होना वह है जिसे जानना होता है। विधि वह है जिसे सिखाने में रूपांतरित किया जा सकता है, और कौशल वह है जिसे सीखा तो जा सकता है, लेकिन जिसका प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता। इसलिए धीरे – धीरे जानो और सीखो। और जटिलता से चीजों का प्रारंभ मत करो। सीधे जटिल चीजों पर मत पहुंच जाओ। यह अंतिम और सर्वाधिक जटिल बात है मन के प्रति सजग होना, मन को देखना और साथ ही यह जानना कि मैं मन नहीं हैं। इतनी गहराई से देखना कि तुम शरीर न रह जाओ, मन न रह जाओ, यह अंतिम है। और सीधे इन पर छलांग मत लगाना। छोटी-छोटी बातों से प्रारंभ करना। जब तुम्हें भूख लगे, तो बस भूख को देखना कि भूख कहा है? भूख तुममें है या कहीं तुमसे बाहर है। अपनी आंखें बंद कर लेना, अपने भीतर के अंधेरे में खोजना, भूख को अनुभव करना और पता लगाने की कोशिश करना कि भूख कहां है। जब तुम्हारे सिर में दर्द हो, एस्प्रीन लेने से पहले थोड़ा उस पर ध्यान करना। फिर यह भी हो सकता है कि शायद तुम्हें एस्प्रीन लेने की जरूरत ही न पड़े। बस, अपनी आंखें बंद कर लेना और इसे महसूस करना कि सिर दर्द कहा है? उसका ठीक – ठीक केंद्र खोज लेना, और उस पर अपना ध्यान केंद्रित कर देना। और तुम जानकर हैरान होओगे कि सिर दर्द उतनी बड़ी बात नहीं है जितना कि तुम समझ रहे थे, और सिर दर्द सारे सिर में भी नहीं है। उसका एक केंद्र बिंदु है -और जितने अधिक तुम उस केंद्र बिंदु के निकट आओगे, उतने ही अधिक तुम सिर दर्द से दूर होते चले जाओगे। जितना ज्यादा सिर दर्द होता है, उतना ही तुम उससे तादात्म्य बना लेते हो। और जितना सिर दर्द स्पष्ट, केंद्रित, सुनिश्चित, सुनिर्धारित, सीमित होता है उतने ही अधिक तुम उससे दूर होते चले जाते हो। फिर देखते – देखते एक ऐसा बिंदु आता है, जो पूरी तरह से केंद्रित होता है, कई बार वह बिंदु खो - खो जाएगा, लेकिन फिर जब उस बिंदु पर तुम केंद्रित हो जाओगे तो कहीं कोई सिर दर्द न रह जाएगा। तुम चकित होगे कि सिर दर्द चला कहां गया ?इ लेकिन वह फिर से आ जाएगा। फिर उस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करो, वह फिर मिट जाएगा। अगर ध्यान पूरी तरह से उस बिंदु पर केंद्रित हो ए, तो सिर दर्द मिट जाएगा। क्योंकि पूरी तरह से ध्यान केंद्रित होने पर तुम अपने सिर से इतने दूर होते हो कि तुम सिर दर्द अनुभव ही नहीं कर सकते। इसे प्रयोग करके देखना, इसे आजमा कर देखना। छोटी -छोटी चीजों से शुरू करना; एकदम अंतिम पर सीधे ही छलांग मत लगा देना। पतंजलि ने भी विवेक के, होश के, बोध के इन सूत्रों के लिए बड़ी दूर की यात्रा तय की है। पतंजलि प्रारंभिक तैयारी के लिए जिन आधारभूत बातों की आवश्यकता थी उन बहुत सी बातों के विषय में बताते रहे। जब तक तुम इन्हें पूरा नहीं कर लेते, तब तक तुम्हारे लिए मन और शरीर के साथ स्वयं का तादात्म तोड़ पाना कठिन होगा।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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