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________________ उनकी भोजन में रुचि समाप्त हो जाती है। शक्कर की थोड़ी सी मात्रा से पोषण नहीं हो सकता है, लेकिन मस्तिष्क मूर्ख बन जाता है। शक्कर खाकर व्यक्ति मस्तिष्क तक यह सूचना पहुंचा देता है कि उसने कुछ खा लिया है। तत्क्षण मस्तिष्क सोचता है शक्कर की मात्रा शरीर में बढ़ गयी है, तो बस अब दूसरे भोजन की आवश्यकता नहीं है। मस्तिष्क को लगता है कि तुमने खूब खा लिया और भोजन में शक्कर की मात्रा ज्यादा हो गयी है। तुमने तो शक्कर की गोली ही खायी है इस तरह से मस्तिष्क को एक भ्रम निर्मित हो जाता है। योग ने यह बात खोज ली है कि किन्हीं सुनिश्चित केंद्रों पर संयम संपन्न करने से चीजें तिरोहित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई कंठ पर संयम ले आए, तो उसे न तो प्यास लगेगी, और न ही भूख लगेगी। इसी तरह से योगी लोग लंबे समय तक उपवास कर लेते थे। महावीर के लिए ऐसा कहा जाता है कि वे कई बार तीन महीने, चार महीने तक निरंतर उपवास करते थे। जब महावीर अपनी ध्यान और साधना में लीन थे, तो कोई बारह वर्ष की अवधि में करीब म्यारह वर्ष तक वे उपवासे ही रहे, भूखे ही रहे। तीन महीने उपवास करते और फिर एक दिन थोड़ा आहार लेते थे, फिर एक महीने उपवास करते, और फिर बीच में दो दिन भोजन ले लेते थे, इसी तरह से निरंतर उनके उपवास चलते रहते थे। तो बारह वर्षों में कुल मिलाकर एक वर्ष उन्होंने भोजन लिया, इसका अर्थ हुआ कि बारह दिन में एक दिन भोजन और ग्यारह दिन उपवास। वे ऐसा कैसे करते थे? कैसे वे ऐसा कर सकते थे? यह बात तो असंभव ही मालूम होती है, आम आदमी के लिए असंभव है भी। लेकिन योग के पास कुछ रहस्य हैं। अगर कोई व्यक्ति कंठ में एकाग्र रहता है.. थोड़ा कोशिश करके देखना। अब जब तुम्हें प्यास लगे, तो अपनी आंखें बंद कर लेना, और अपना पूरा ध्यान कंठ पर एकाग्र कर लेना। जब पूरा ध्यान उसी में स्थित हो जाता है, तो तुम पाओगे कि कंठ एकदम शिथिल हो गया है। क्योंकि जब तुम्हारा पूरा ध्यान किसी एक चीज पर एकाग्र हो जाता है, तो तुम उस से अलग हो जाते हो। कंठ में प्यास लगती है, और हमें लगता है जैसे मैं ही प्यासा ह। अगर तुम प्यास के साक्षी हो जाओ, तो अचानक ही तम प्यास से अलग हो जाओगे। प्यास के साथ जो तुम्हारा तादात्म्य हो गया था वह टूट जाएगा। तब तुम जानोगे कि कंठ प्यासा है, मैं प्यासा नहीं हूं। और तुम्हारे बिना तुम्हारा कंठ कैसे प्यासा हो सकता है? क्या तुम्हारे बिना शरीर को भूख लग सकती है? क्या किसी मृत आदमी को कभी भूख या प्यास लगती है? चाहे पानी की एक -एक बूंद शरीर से उड़ जाए, शरीर से पानी की एक-एक बूंद विलीन हो जाए, तो भी मृत व्यक्ति को प्यास का अनुभव नहीं होगा। शरीर को प्यास अनुभव करने के लिए शरीर के साथ तादात्म्य चाहिए।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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