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________________ जो कुछ भी हम चाहते हैं, उसी पर संयम को केंद्रित कर देना है और फिर वैसा ही घटित होने लगता है क्योंकि व्यक्ति अनंत है, असीम है। जैसा रूप या स्वरूप हम पाना चाहते है वैसा ही संयम से पा सकते हैं। फिर सभी तरह के चमत्कार संभव हो जाते हैं, सब कुछ हम पर निर्भर करता है। तब अगर हम हाथी के समान शक्तिशाली होना चाहते हैं, तो हम हाथी जैसे शक्तिशाली भी हो सकते हैं। बस, उस विचार को बीज की भांति भीतर संजोकर और फिर उसे संयम दवारा पोषित करके हम वही हो जाएंगे। क्योंकि इस सूत्र का लोगों ने बहुत दुरुपयोग किया है। यह सूत्र कुंजी है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति शैतान का रूप रखना चाहता है, या कोई गलत रूप रखना चाहता है तो वह उस भांति हो सकता है। जितना गलत उपयोग हम विज्ञान का कर सकते हैं, उतना ही गलत उपयोग हम योग का भी कर सकते हैं। विज्ञान ने आणविक ऊर्जा की खोज की है। अब हम किसी भी जगह पर इसके घातक प्रक्षेपण करके लाखों लोगों की हत्या कर सकते हैं। और इस तरह से कितने ही नगरों को हिरोशिमा और नागासाकी बना सकते हैं -पूरी पृथ्वी को जलाकर भस्म कर सकते हैं, और इस पृथ्वी को एक कब्रिस्तान में बदल सकते हैं। लेकिन उसी आणविक ऊर्जा का सृजनात्मक उपयोग भी किया जा सकता है। आणविक ऊर्जा के माध्यम से इस पृथ्वी पर जितनी भी गरीबी है वह मिनटों में मिटायी जा सकती है। जितने तरह के खाद्य पदार्थों की आवश्यकता है, उनका उत्पादन किया जा सकता है - और केवल जिन थोड़े लोगों के पास ऐश्वर्य और सुख –सुविधा के साधन हैं, वे प्रत्येक आदमी के सामान्य जीवन का अंग बन सकते हैं। हमारे रास्ते में कोई दूसरा रुकावट नहीं है, किसी तरह का कहीं कोई अवरोध नहीं है, लेकिन हमको ही सृजन करने की समझ नहीं है हम जानते ही नहीं हैं कि सृजन कैसे करना। योग का भी इसी ढंग से गलत उपयोग किया गया है। सभी ज्ञान शक्ति को जन्म देते हैं, और शक्ति का उपयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में किया जा सकता है। मैंने एक कथा सुनी है एक शराबी एक धनी आदमी के पास पहुंचा और उससे एक कप काफी के लिए पच्चीस पैसे मागे। बहुत ही दयालु व्यक्ति होने के कारण उसने उसे दस शिलिंग का नोट दे दिया। इस पर वह शराबी बोला, 'यह हुई न कोई बात। इससे तो कोई कॉफी के बीस प्याले भी ले सकता है।' दूसरे दिन शाम को उस धनी आदमी को फिर वही आवारा शराबी दिखायी पड़ा। उस धनी आदमी ने उससे बहुत ही प्रसन्नता से पूछा, 'आज तुम कैसे हो?'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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