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________________ निकोस कजानजाकिस ने जो उपन्यास सेंट फ्रांसिस के विषय में लिखा है उसमें फ्रांसिस बादाम के वृक्ष के साथ बातें करता है। सेंट फ्रांसिस आते हैं, एक बादाम का पेडू वहां पर है, और सेंट फ्रांसिस कहते हैं, 'सिस्टर, मुझे परमात्मा के विषय में कोई गीत सुनाओ।' और इतना कहते ही वह बादाम का पेडू खिल जाता था। और यह उस बादाम के वृक्ष का तरीका था परमात्मा के लिए गीत गाने का। बादाम का वृक्ष तुम्हारे बगीचे में भी खिलता है, फलता-फूलता है, लेकिन तुम उसके पास जाकर कभी कहते ही नहीं हो कि 'सिस्टर, परमात्मा का गीत सुनाओ। परमात्मा के बारे में कुछ कहो।' बादाम के वृक्ष के पास जाकर यह कहने के लिए कोई सेंट फ्रांसिस चाहिए। बादाम का वृक्ष तो हमारे बगीचों में भी फलते -फूलते हैं। इसी तरह से हमारे जीवन में भी हजारों फूल खिलते हैं, लेकिन उन फूलों को देखने के लिए हम वहां होते ही नहीं हैं। स्वयं में वापस लौट आओ, और साक्षी हो जाओ, और तब सभी कुछ-फिर चाहे कार्य हो, प्रेम हो, या ध्यान हो -तब सभी कुछ परिपूर्ण तृप्तिदायी हो जाता है। तब सभी कुछ इतना परिपूर्ण और तृप्तिदायी होता है कि फिर और अधिक की न तो आकांक्षा ही रह जाती है और न ही अधिक की मांग रह जाती है। और जब अधिक की आकांक्षा या मांग नहीं रह जाती है, तब ही हम सच में जीना प्रारंभ करते हैं, उससे पहले नहीं। मैं तुम्हारी पीड़ा को समझता हूं –'भगवान, मैं चाहता हूं कि आप मुझे एक ही बार में सदा-सदा के लिए मिटा दें।' अगर ऐसा करना मेरे हाथ में होता, तो मैंने ऐसा कभी का कर दिया होता। अगर ऐसा करना मुझ पर निर्भर होता, तो मैं तुम्हारे कहने की भी प्रतीक्षा न करता। फिर तो मैं तुम से पूछता भी नहीं। लेकिन यह केवल मुझ पर ही निर्भर नहीं है। तुमको भी मेरे साथ सहयोग करना पड़ेगा। सच तो यह है, मैं तो सिर्फ एक बहाना हूं –करना तो तुमको ही है। और किसी भी तरह की जल्दी मत करना, अधीर मत होना। इस पथ पर बड़े धैर्य की आवश्यकता होती है। लेकिन पश्चिम में धैर्य खो गया है, अधैर्यता मन का हिस्सा हो गयी है। लोग धैर्य के और प्रतीक्षा के सौंदर्य को भूल ही गए हैं। मैं एक कथा पढ़ रहा था एक डाक्टर अपने मरीज को स्वस्थ होने की नयी विधि के विषय में समझा रहा था। 'आपरेशन के बाद जितना जल्दी हो सके, तुम चलने लगना। पहले दिन तुम पांच मिनट घूमना, दूसरे दिन दस मिनट, और तीसरे दिन पूरे एक घंटे घूमना। मेरी बात समझ में आई न?'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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