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________________ 'हां डाक्टर, 'घबराए हुए मरीज ने कहा, 'लेकिन क्या यह उचित होगा कि मैं आपरेशन के समय लेटा ही रहूं?' थोड़े और धैर्य की जरूरत है। अभी तुम आपरेशन टेबल पर ही हो। कृपा करके, कृपा करके शिथिल और शांत रहो, और मेरे साथ सहयोग करो, क्योंकि यह ऐसा आपरेशन नहीं है जो तुम्हारी मूर्छा में, तुम्हारी बेहोशी की अवस्था में किया जा सकता हो। यह ऐसा आपरेशन नहीं है, जिसमें एनसथीसिया दिया जा सकता हो। जब तुम पूर्ण होश में सचेत और जागरूक होगे, उस समय पूरा आपरेशन हो सकता है। सच तो यह है तुम जितने अधिक होशपूर्ण, जाग्रत और सचेत होते हो, उतनी ही अधिक आसानी से इस आपरेशन को किया जा सकता है क्योंकि यह पूरा का पूरा आपरेशन होश का ही है। अगर तुम आपरेशन करने के प्रतिकूल हो, तो मैं यह आपरेशन नहीं कर सकता हूं; बिना तुम्हारे सहयोग के तो मैं यह कर ही नहीं सकता। जब तक तुम पूरी तरह मेरे साथ नहीं होते हो मैं ऐसा नहीं कर सकता। सच तो यह है, जब तुम समग्ररूपेण मेरे साथ होते हो, तब तुम स्वयं ही वैसा कर लेते हो, मैं तो केवल एक बहाना हूं। जिस दिन घटना घटेगी, उस दिन तुम जानोगे कि मैंने कुछ भी नहीं किया है, तुमने स्वयं ही सब कुछ किया है। मैंने तो बस तुममें थोड़ा सा आत्मविश्वास जगाया था। मैंने तो केवल तम्हें विश्वास दिलाया था कि ऐसा भी संभव है। मैंने तो केवल इतना भरोसा दिलाया था कि तुम व्यर्थ नहीं भटक रहे हो, कि तुम सही मार्ग पर चल रहे हो -मैंने तो बस इतना ही किया था। इस आपरेशन में मरीज ही डाक्टर भी होता है। डाक्टर तो इसमें एक ओर खड़ा रहता है। बस उसकी मौजूदगी, उसकी उपस्थिति मात्र ही तुम्हारे लिए सहायक होती है - और जब डाक्टर वहां खड़ा होता है तो तुम्हें भय नहीं लगता, तुम स्वयं को अकेला महसूस नहीं करते। और एक ढंग से यह अच्छा ही है कि कोई दूसरा तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकता। क्योंकि अगर कोई दूसरा तुमको मुक्त कर सकता हो, तो तुम्हारी मुक्ति वास्तविक मुक्ति न होगी, सच्ची मुक्ति न होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति तुमको मुक्त कर सकता है, तो फिर दूसरा व्यक्ति तुमको गुलाम भी बना सकता है। कोई तुम्हें मुक्त नहीं कर सकता। मुक्ति तुम्हारा अपना चुनाव है। इसीलिए मुक्ति परम है, फिर कोई उसे तुम से छीन नहीं सकता। अगर मुक्ति दी जा सकती हो, तो फिर उसे छीना भी जा सकता है। सच तो यह है, मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता हूं। अगर तुम चाहो, तो मेरे से जो भी मदद संभव हो सकती है, वह ले सकते हो। तुम थोड़ा मेरी बात को समझने की कोशिश करो। मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ कोई जबर्दस्ती नहीं कर सकता हूं। मैं तुम्हारी हत्या नहीं कर सकता, लेकिन मेरी मौजूदगी में तुम आत्मघात कर ले सकते हो।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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