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________________ मन केवल वही देखता है, या वही देखना चाहता है जो उसके अहंकार की पूर्ति करता है। बेचारे नाजुना की परवाह कौन करता है? वह बेचारा गरीब फूल, किसी भी ढंग से मन और आख को संतुष्ट नहीं करता। ही, कमल हो, गुलाब हो, तब तो ठीक है। लेकिन नाजुना! बेचारा साधारण जंगली फूल, इतना छोटा, इतना दरिद्र कि किसी को उसकी ओर ध्यान देने की, उसकी तरफ देखने की क्या पड़ी है। वह न तो किसी को आकर्षित ही कर पाता है, न ही किसी का ध्यान अपनी ओर खींच पाता है. लेकिन वह दिन, वह सुबह, वह सूर्य का उदय होना, और बासो ने नाजुना फूल को देखा; बासो कहते हैं, ' पहली बार मेरा साक्षात्कार नाज़ना की वास्तविकता से हुआ'-लोकन एसा कवल इसा कारण समय मा' -लेकिन ऐसा केवल इसी कारण संभव हो सका, क्योंकि बासों ने स्वयं की रिएलिटी से, स्वयं की वास्तविकता से साक्षात्कार कर लिया था। जिस घड़ी हम साक्षी होते हैं - और वही सतोरी है, वही समाधि है -जिस क्षण हम साक्षी होते हैं 'सभी कुछ बदल जाता है, सभी कुछ अलग ही रंग – रूप ले लेता है। तब साधारण हरा रंग फिर कोई साधारण हरा रंग नहीं रह जाता, वह असाधारण हो जाता है। तब कोई भी चीज साधारण नहीं रह जाती है। जिस क्षण हम साक्षी हो जाते हैं, उसी क्षण हर चीज असाधारण, भव्य और दिव्य हो जाती जीसस अपने शिष्यों से कहा करते थे, 'जरा, बाहर खिले हए लिली के फूलों को तो देखो।' साधारण से लिली के फूल-लेकिन जीसस के लिए वे लिली के फूल साधारण नहीं हैं, क्योंकि जीसस एक अलग ही आयाम में जी रहे हैं। जीसस की यह बात सुनकर शिष्य तो जरूर आश्चर्य में पड़ गए होंगे कि जीसस लिली के फूलों की चर्चा क्यों कर रहे हैं? लिली के फूलों के बारे में कहने को है क्या? लेकिन जीसस कहते हैं, 'सोलोमन भी अपने ऐश्वर्य और वैभव में लिली के फूलों के सामने कुछ भी न था।' सोलोमन भी कुछ न था! सोलोमन यहूदी पुराण कथा का सर्वाधिक समृद्ध, और धनी सम्राट था-वह भी कुछ न था लिली के साधारण से फूलों के सामने! जीसस ने उन लिली के फूलों में वह देखा, जिसे शिष्य देखने से चूक रहे हैं। क्या देखा जीसस ने उन लिली के फूलों में? अगर तुम साक्षी हो जाओं, तो अस्तित्व अपने सारे रहस्य तुम्हारे सामने खोल देता है। मैं तुम से कहता हूं कि तब सभी कुछ तृप्तिदायी हो जाता है। किसी ने एक झेन गुरु से पूछा, 'सतोरी उपलब्ध होने के बाद आप क्या करते हैं?' वह झेन गुरु बोले, 'पहले की तरह मैं अब भी लकड़ी काटता हूं, कुएं से पानी भरता हूं, जब भूख लगती है तब भोजन कर लेता हं, जब थक जाता है तो सो जाता है।' सतोरी उपलब्ध होने के बाद सभी कुछ, छोटे -छोटे कृत्य भी सौंदर्य से भर जाते हैं। प्रत्येक छोटे - छोटे काम भी, फिर वह चाहे लकड़ी काटना हो या कुएं से पानी भरना. सभी कुछ दिव्य और भव्य हो जाता है। थोड़ा इसे समझने की कोशिश करो।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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