SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 187
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रुचि है। और ये तीन ही तरह के लोग रह गए हैं। और जो सच्चा धार्मिक आदमी है, वह खो गया है। ऐसा क्यों हुआ है? पहली तो बात आज जीवन के प्रति एक नए दृष्टिकोण को खोज लिया गया है, अब विज्ञान की खोज हो चुकी है - अब विज्ञान के माध्यम से मनुष्य के पास एक नया द्वार खुल गया है और धर्म अभी तक विज्ञान के इस नए आयाम को आत्मसात नहीं कर पाया है। धर्म विज्ञान को अपने में आत्मसात कर लेने में इसलिए असफल हो गया है, क्योंकि तथाकथित साधारण धर्म विज्ञान को अपने में आत्मसात करने में असमर्थ है। जीवन के प्रति तीन प्रकार की दृष्टियां संभव हैं। पहली तो है तार्किक, बौद्धिक, वैज्ञानिक। दूसरी है अबौद्धिक, अंधविश्वास से भरी और अतार्किक और तीसरी दृष्टि है तर्कातीत, अनुभवातीत । - साधारण धर्म ने अतार्किक दृष्टिकोण को ही पकड़ कर रखा था और वही बात धर्म के लिए आत्मघात बन गयी, वही बात धर्म के लिए जहर हो गयी। धर्म को आत्महत्या कर लेनी पड़ी, , क्योंकि वह जीवन के दुर्बलतम दृष्टिकोण – अबौद्धिक दृष्टिकोण पर ही रुक कर रह गया, वह उसी पर अटक कर रह गया। जब मैं अबौद्धिक शब्द का उपयोग करता हूं, तो उससे मेरा क्या अभिप्राय है? उससे मेरा अभिप्राय है, अंधविश्वास इस सदी तक धर्म इसी अंधविश्वास के सहारे फलता-फूलता रहा, और गतिमान होता रहा। और ऐसा इस कारण हो सका क्योंकि धर्म का और कोई प्रतियोगी न था, और धर्म के पास इससे बेहतर कोई दृष्टिकोण न था । लेकिन जब विज्ञान का जन्म हुआ, तो एक अधिक सशक्त, अधिक प्रौढ़, अधिक प्रामाणिक, और अधिक तर्कसंगत दृष्टिकोण का जन्म हुआ। और वितान के अस्तितव में आने से दवदव खड़ा हो गया। विज्ञान के अस्तित्व में आने से धर्म शंकित और भयभीत हो गया, क्योंकि यह नया दृष्टिकोण धर्म को नष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार था और इसी उधेड़ बुन में धर्म अपनी सुरक्षा का इंतजाम करने लगा। और इस तरह से धीरे-धीरे धर्म बंद होता चला गया। शुरू में तो विज्ञान के समकक्ष धर्म ने खड़े रहने की कोशिश की- क्योंकि उस समय तक तो धर्म शक्तिशाली था, प्रतिष्ठित था, और सामाजिक व्यवस्था का अंग था- इसी कारण धर्म ने गैलेलियो द्वारा की गई वैज्ञानिक खोजों को अस्वीकार कर उन्हें नष्ट कर देने का पूरा प्रयास किया। लेकिन धर्म को यह न मालूम था कि यह विनाशकारी कार्य स्वयं उसके लिए ही आत्मघाती होने वाला है। और इस तरह से धर्म ने विज्ञान के साथ एक लंबी लड़ाई की शुरुआत कर दी और निस्संदेह हार जाने वाली लंबी लड़ाई की शुरुआत कर दी।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy