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________________ गरीब आदमी दुखी हों, यह बात समझ में आती है। लेकिन अमीर आदमी भी दुखी होते हैं। जिनके पास सब कुछ है, वे उतने ही दुखी रहते हैं, जितने कि वे जिनके पास कुछ भी नहीं है। रोगी आदमी दुखी हो, यह बात समझ में आती है। लेकिन स्वस्थ आदमी भी दुखी है। दुख की जड़ कहीं और ही है। धन से, स्वास्थ्य से या किसी अन्य वस्तु से दुख का कोई संबंध नहीं है। दुख तो आदमी के भीतर एक अंतर्धारा और अंतःप्रवाह की तरह बना ही रहता है। अधिक, और अधिक की मल में ही दुख छिपा हुआ है, और मनुष्य का मन सदैव अधिक, और अधिक की माग किए चला जाता है। क्या कभी तुम ऐसी कल्पना कर सकते हो जहां और अधिक की मांग न हो? असंभव है। यहां तक कि स्वर्ग में भी और अधिक की मांग हो सकती है। कोई भी व्यक्ति किसी ऐसी परिस्थिति की कल्पना नहीं कर सकता है जहां कि और अधिक की मांग न हो, जहां और बेहतर सुख -सुविधा, धन-समृद्धि की मांग न हो। इससे इतना ही स्पष्ट होता है कि व्यक्ति कहीं भी रहे, दुखी ही रहेगा। स्वर्ग भी उसके लिए पर्याप्त न होगा, इसलिए स्वर्ग की भी प्रतीक्षा मत करना। अगर स्वर्ग मिल भी गया, तो वह भी पर्याप्त न होगा।'वह उतना ही दुखी रहेगा जितना कि पहले था, शायद उससे भी अधिक। क्योंकि यहां कम से कम आशा तो थी कि कहीं कोई स्वर्ग है और एक न एक दिन स्वर्ग में प्रवेश मिलेगा। अगर स्वर्ग में प्रवेश मिल जाए, तो वह आशा भी समाप्त हो जाती है। तुम जैसे भी हो, नरक में ही रहोगे, क्योंकि स्वर्ग और नरक तो चीजों को देखने के ढंग हैं। वे कोई भौतिक स्थान नहीं हैं, वे तो देखने के दृष्टिकोण हैं कि किस भांति तुम चीजों को देखते हो। एक गिरगिट भी स्वर्ग में हो सकता है और लिओ टाल्सटाय भी नरक में हो सकते हैं। लिओ टाल्सटाय जैसा आदमी भी! लिओ टाल्सटाय विश्व विख्यात व्यक्ति था, उससे ज्यादा प्रसिदधि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कुछ थोड़े से गिने -चने लोगों में उसका नाम भी हमेशा इतिहास में गिना जाएगा। उसके लिखे उपन्यास हमेशा पढ़े जाते रहेंगे। वह ही प्रतिभाशाली आदमी था। लेकिन तुम उससे ज्यादा दुखी व्यक्ति की कल्पना नहीं कर सकते हो। लिओ टाल्सटाय रूस के धनवान व्यक्तियों में से एक था। वह राज -परिवार से संबंधित था, वह राजकुमार था। एक सुंदर राज – परिवार की लड़की से उसका विवाह हुआ था। लेकिन तुम उससे ज्यादा दुखी आदमी की कल्पना नहीं कर सकते, जो हमेशा आत्महत्या के बारे में सोचा करता था। धीरे-धीरे उसे लगने लगा कि वह शायद इसलिए दुखी है, क्योंकि वह बहुत धनवान है, तो फिर उसने एक गरीब आदमी की तरह, एक किसान की तरह रहना प्रारंभ कर दिया, लेकिन फिर भी वह दुखी ही रहा। उसकी तकलीफ क्या थी? वह एक कल्पनाशील व्यक्ति था-उपन्यासकार को ऐसा होना भी चाहिए। उसकी कल्पना शक्ति अदभुत थी, इसलिए उसे जो कुछ भी उपलब्ध होता था, वह हमेशा कम ही होता
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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