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________________ यह ऐसे ही है जैसे कि तुम एक अंधेरी कोठरी में रह रहे हो। तुमने प्रकाश के विषय में सुना है, लेकिन तुमने प्रकाश देखा नहीं है। और तुम प्रकाश के विषय में सुन कैसे सकते हो? उसे केवल देखा जा सकता है। कान माध्यम नहीं हैं प्रकाश को जानने का; आंखें हैं माध्यम । और तुमने सुन लिया है। प्रकाश के बारे में और बार-बार प्रकाश की बातें सुन कर तुम्हें लगता है कि तुम जानते हो प्रकाश को। तुम जानते हो उसके बारे में, लेकिन किसी के बारे में जानना उसे जानना नहीं है। तुमने सुना है। और कैसे तुम सुन सकते हो प्रकाश को? यह तो ऐसा ही होगा जैसे कोई कहे कि उसने देखा है संगीत को। यह बात बड़ी बेलुकी होगी। और लोभी हो जाता है। तुम शास्त्रों में खोजते हो। तुम जाते तुम्हें शायद कोई मिल भी जाए जिसने देखा हो, लेकिन जब फिर प्रकाश की बातें सुन-सुन कर मन हो और खोजते हो बुद्धिमान वृद्धों को वह उसके बारे में कुछ कहता है, तो तुम्हारे लिए वह सुनी हुई बात हो जाती है। भारत में प्राचीनतम शास्त्र श्रुति के नाम से जाने जाते हैं. वह जिसे कि सुना गया है। सुंदर है यह बात सचमुच सुंदर है यह सत्य सुना कैसे जा सकता है? और सारे प्राचीनतम शास्त्र श्रुतियां और स्मृतियां कहलाते हैं। श्रुति का अर्थ है 'सुना हुआ और स्मृति का अर्थ है स्मरण रखा हुआ। तुमने सुना है और स्मृति में रख लिया है तुमने रट लिया है। लेकिन सुन कर तुम सत्य को कैसे जान सकते हो? तुम्हें उसे अनुभव करना होता है। वस्तुतः तुम्हें उसे जीना होता है। गुफा में अंधेरे में जीने वाला आदमी प्रकाश के बारे में बहुत जानकारी इकट्ठी कर सकता है। वह बहुत बड़ा पंडित भी बन सकता है। तुम कुछ भी पूछ सकते हो उससे और तुम भरोसा कर सकते हो उस पर वह हर चीज बता देगा जो प्रकाश के बारे में कभी भी कही गई है, लेकिन फिर भी रहेगा वह अंधेरे में ही और प्रकाश को पाने में वह तुम्हारी मदद नहीं कर सकता; वह स्वयं ही अंधा है। जीसस बार-बार कहते हैं, 'अंधे अंधों को चला रहे हैं।' कबीर कहते हैं, 'यदि तुम दुख भोग रहे हो, तो सजग हो जाओ; जरूर तुम अंधे आदमी द्वारा चलाए गए हो।' कबीर कहते हैं, 'अंधा अंधे ठेलिया दोनों कूप पड़ंत।' और तुम सभी पड़े हो दुख के कुएं में तुमने सत्य के विषय में जरूर बहुत कुछ सुना होगा; तुमने बहुत कुछ सुना होगा ईश्वर के विषय में हजारों उपदेशक निरंतर उपदेश दे रहे हैं ईश्वर के संबंध में चर्च हैं, मंदिर हैं, पंडित-पुरोहित हैं- निरंतर चर्चा कर रहे हैं उसके विषय में। लेकिन ईश्वर कोई बातचीत नहीं है, वह तो एक अनुभव है। अज्ञान ज्ञान के द्वारा नहीं मिट सकता है। वह मिट सकता है केवल होश के द्वारा । ज्ञान तो तुम स्वप्न में भी इकट्ठा किए जा सकते हो; लेकिन वह स्वप्न का हिस्सा ही है, और स्वप्न हिस्सा है तुम्हारी नींद का कोई चाहिए जो तुम्हें झकझोर दे कोई चाहिए जो तुम्हें धक्का दे दे कोई चाहिए
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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