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________________ पूछने लगे, 'क्या हुआ?' उन्होंने कहा, 'एक पागल हाथी भी उतना पागल नहीं है जितना देवदत्त। इस पागल हाथी में भी थोड़ी समझ शेष है।' जो प्रसिद्ध मनस्विद मनुष्य के मस्तिष्क पर काम कर रहे हैं और गहरी खोज कर रहे हैं उनमें से एक है देलगादो। उसने इलेक्ट्रोड्स को लेकर एक प्रयोग किया है। कुछ ऐसा ही हुआ होगा जब हाथी ठहर गया और झुक गया। देलगादो ने एक बैल के मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड्स लगा दिए। उन इलेक्ट्रोड्स को रेडियो, वायरलेस द्वारा दूर से संचालित किया जा सकता था। हजारों लोग इकट्ठे हुए थे देखने के लिए। उसने दबाया बटन और मस्तिष्क का वह केंद्र सक्रिय हो गया जहां से क्रोध उठता था : बैल क्रोध से पागल हो गया। वह क्रोध से भड़क उठा और दौड़ा देलगादो की ओर'। लोगों की सांसें थम गईं, क्योंकि मौत सुनिश्चित थी। बस एक कदम की दूरी, देलगादो ने दूसरा बटन दबायाऔर अचानक ही कुछ हुआ भीतर, और बैल रुक गया! बस एक कदम की दूरी, मौत एक कदम दूर थी। देलगादो ने तो ऐसा किया विद्युत उपकरणों द्वारा, लेकिन ऐसा ही कुछ हुआ होगा. बुद्ध ने नहीं किया कुछ, लेकिन तो भी कुछ हुआ-स्व गहरी अहिंसा, एक सहज उगेरणा, कुछ हुआ हाथी के मस्तिष्क में। वह पागल न रहा; उसने समझा। कोई अनुभूति हुई उसको; वह रुक गया, झुक गया। मनुष्यता अब सम्यक दर्पण नहीं रही है। मनुष्यता उतनी शुद्ध नहीं है जितनी कि अनुगूंज करती घाटियां। मनुष्यता विकृत हो गई है, इसलिए यह संभव नहीं है। मैं पिछले जन्मों को लेकर कोई व्याख्या नहीं खोजता। मैं कोई व्याख्या नहीं करता कि जीसस बुद्ध पुरुष नहीं थे। नहीं, असली बात यह है कि जीवन केवल तभी प्रतिबिंबित कर सकता है जब वह जीवंत हो। आदमी मुर्दा हो गया है। तुम्हारी संवेदनशीलता मर गई है। यदि तुम बुद्ध से मिलने भी आते हो, तो तुम्हें कुछ ज्यादा अनुभूति नहीं होती। तुम कहते हो. बुद्ध भी वैसे हैं जैसे कि कोई और आदमी। निश्चित ही, हड्डियां वैसी ही हैं और चमड़ी वैसी ही है और शरीर वैसा ही है। परिधि पर सब कुछ वैसा ही है लेकिन केंद्र पर, वह ज्योति कौन है? लेकिन तुम उसे केवल तभी अनुभव कर सकते हो, जब तुमने उसे अपने भीतर अनुभव किया हो। अन्यथा कैसे तुम उसको अनुभव कर सकते हो? तुम बुद्ध को केवल तभी पहचान सकते हो जब तुमने अपने बुद्धत्व को पहचान लिया हो। वहीं से बनता है सेतु। यदि तुमने अपने भीतर के बुद्धत्व को, अपने भीतर की भगवत्ता को नहीं पहचाना है, तो तुम्हारे लिए असंभव है बुद्ध को पहचानना, उनकी अहिंसा को पहचानना, यह पहचानना कि वे पार जा चुके हैं, वे अब तुम्हारे पागलपन का हिस्सा नहीं हैं। इसीलिए महावीर को पत्थर मारे गए : उन लोगों ने महावीर को पत्थर मारे जो बिलकुल विकृत हो चुके थे। कोई प्राकृतिक नियम उनके साथ काम नहीं करता; अन्यथा नियम तो बिलकुल निश्चित है।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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