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________________ है, तो वे कह देते हैं कि वे बुद्धत्व को उपलब्ध नहीं थे-सीधी व्याख्या कर देते हैं, बात समाप्त हो जाती है। लेकिन यदि महावीर की बात आ जाए तो वे कहते हैं कि महावीर अपने पिछले जन्मों का लेन-देन पूरा कर रहे हैं। दोनों बातें गलत हैं। दोनों गलत हैं, क्योंकि जब कोई बधत्व को उपलब्ध होता है तो वह अपने सारे लेन-देन पूरे कर चुका होता है। उसने सभी कर्म समाप्त कर दिए होते हैं; अब कहीं कुछ शेष नहीं रहता। फिर भी घटनाएं हैं. जीसस को सूली दी गई; सुकरात को जहर पिलाया गया; अलहिल्लाज मंसूर की हत्या की गई, बहुत ही क्रूरता से हत्या की गई; महावीर को पत्थर मारे गए, अपमानित किया गया, गौवों के बाहर खदेड़ा गया; बुद्ध को बहुत बार मार डालने की कोशिशें की गईं। तो फिर पतंजलि के इस सूत्र की व्याख्या कैसे हो? यदि यह सूत्र सत्य है तो ये सब घटनाएं नहीं घटनी चाहिए। यदि ऐसी घटनाएं घटती हैं तो केवल दो संभावनाएं हैं. या तो ये सब-अलहिल्लाज मंसूर, जीसस, महावीर, बुद्ध-ये सब बुदधत्व को उपलब्ध नहीं हैं, सच में प्रतिष्ठित नहीं हैं अहिंसा में, या फिर नियम के बाहर कुछ अपवाद हैं। कुछ अपवाद हैं। वस्तुत:, जब भी कोई व्यक्ति अहिंसा में प्रतिष्ठित हो जाता है तो समस्त जीवनसिवाय मनुष्य के-उसके प्रति बिलकुल अहिंसक हो जाता है। मनुष्य एक विकृत प्राणी है। दर्पण स्वच्छ नहीं है। मनुष्य को छोड़ कर समस्त जीवन... वृक्ष अहिंसक होते हैं बुद्ध पुरुष के प्रति, पशु अहिंसक होते हैं। ऐसा हुआ कि बुद्ध का एक चचेरा भाई, जो बहुत गहरी ईर्ष्या का भाव रखता था उनके प्रति. व्यर्थ ही, क्योंकि बुद्ध तो किसी के प्रतिद्वंद्वी नहीं थे। लेकिन वह लगातार सोचता रहता, 'बुद्ध कितने महान हो गए हैं और मैं पीछे छूट गया हूं। मैं कुछ भी नहीं, कोई हस्ती नहीं मेरी।' उसने हर ढंग से कोशिश की कुछ शिष्य इकट्ठे कर लेने की और स्वयं को घोषित कर दिया कि मैं बुद्ध हूं लेकिन कोई उसकी सुनता न था। निश्चित ही कुछ बुद्ध जरूर इकट्ठे हो गए थे। आखिर वह बुद्ध के बहुत खिलाफ हो गया; उसने उन्हें मार डालने की कोशिश की। कहा जाता है कि बुद्ध एक पहाड़ी के निकट वृक्ष के नीचे बैठे ध्यान कर रहे थे, और देवदत, बुद्ध के चचेरे भाई ने एक बड़ी चट्टान लुढ़का दी पहाड़ी से। पूरी संभावना थी कि बुद्ध कुचल जाते। लेकिन न जाने कैसे चट्टान ने अपनी राह बदल ली, बुद्ध अछूते ही बैठे रहे। किसी ने पूछा, 'क्या हुआ?' बुद्ध ने कहा, 'एक चट्टान ज्यादा संवेदनशील है देवदत्त से, मेरे भाई से; चट्टान ने अपना मार्ग बदल दिया।' फिर देवदत्त ने एक पागल हाथी बुद्ध के पीछे छुड़वा दिया। वह हाथी पागल था; वह तेजी से दौड़ता हुआ आया। शिष्य भागे बचने के लिए, वे सब कुछ भूल- भाल गए, और बुद्ध मौन-शात बैठे रहे वृक्ष के नीचे। वह हाथी पास आया, फिर कुछ हुआ-वह बुद्ध के चरणों में झुक गया। लोग बुद्ध से
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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