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________________ दो संभावनाएं हैं। एक तो संभावना है कि तुम शायद गिरते हुए पुराने ढांचे को ठीक-ठाक करने लगो. तुम समाज सुधारक बन सकते हो और तुम चीजों को ज्यादा मजबूत बनाने में जुट सकते हो। तब तुम चूक जाते हो, क्योंकि कुछ किया नहीं जा सकता. समाज तो मर ही रहा है। प्रत्येक समाज की एक जीवन-अवधि होती है और प्रत्येक संस्कृति की एक जीवन-अवधि होती है। जैसे एक बच्चा पैदा होता है और हम जानते हैं कि वह जवान होगा, का होगा और मरेगा-सत्तर वर्ष, अस्सी वर्ष, ज्यादा से ज्यादा सौ वर्ष। उसी तरह प्रत्येक समाज का जन्म होता है, वह जवान होता है, का होता है और फिर मर जाता है। प्रत्येक सभ्यता जो पैदा होती है, मरती है। ये संक्रांति घड़ियां पुराने की, अतीत की मृत्यु और नए के जन्म की घड़ियां होती हैं। तुम्हें पुराने की फिक्र नहीं करनी है; तुम्हें पुराने ढांचे को सहारा नहीं देने लगना है-वह तो जाने वाला ही है। यदि तुम उसे सहारा दे रहे होते हो, तो तुम उसके नीचे कुचल जाओगे। तो यह एक संभावना है कि तुम पुराने ढांचे को सहारा देने लगो। उससे काम न बनेगा। तुम अवसर चूक जाओगे। फिर एक दूसरी संभावना है कि तुम नए को लाने के लिए शायद कोई सामाजिक क्रांति शुरू कर दो। तो भी, तुम फिर चूक जाओगे अवसर, क्योंकि नए को तो आना ही है। तुम्हें उसको लाने की जरूरत नहीं है। नया तो आ ही रहा है-उसकी चिंता मत लेना, क्रांतिकारी मत बन जाना। नया आएगा ही। यदि पुराना जा चुका है तो कोई उसे जबरदस्ती बनाए नहीं रख सकता है। और यदि नया मौजूद है और समय आ गया है और बच्चा गर्भ में तैयार है, तो बच्चा पैदा होगा ही। तुम्हें बच्चे को गर्भ के बाहर खींचने की जरा भी जरूरत नहीं है। बच्चा तो पैदा होगा ही, उसकी कोई फिक्र मत करना। क्रांति अपने से ही होती है; वह एक स्वाभाविक घटना है। किसी क्रांतिकारी की जरूरत नहीं है। तुम्हें किसी को मारने की जरूरत नहीं है, वह स्वयं ही मरने वाला है। यदि तुम सामाजिक क्रांति में लग जाते हो-तुम कम्युनिस्ट हो जाते हो, समाजवादी हो जाते हो-तो तुम चूक जाओगे। ये दो संभावनाएं हैं जहां तुम चूक सकते हो। या फिर तुम संकट की इस घड़ी का उपयोग कर सकते हो और रूपांतरित हो सकते हो। उपयोग कर लो इसका अपने व्यक्तिगत विकास के लिए। इतिहास की संकटकालीन घड़ी जैसा अवसर दूसरा नहीं होता; हर बात तनावपूर्ण होती है और बदल रही होती है, और हर बात एक निश्चित घड़ी तक, एक शिखर तक आ चुकी होती है, जहां से घूमेगा चक्र। उपयोग कर लेना इस दवार का, इस अवसर का, और रूपांतरित हो जाना। इसीलिए मेरा जोर व्यक्तिगत क्रांति के लिए है। तीसरा प्रश्न :
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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