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________________ अब एक वैज्ञानिक, जो बड़ा प्रसिद्ध है और बड़ा खतरनाक है भविष्य के लिए - उसका नाम है देलगादो- उसने एक छोटा सा यंत्र बनाया है; तुम उसे जेब में रख सकते हो उसे मस्तिष्क में तुम्हारे काम - केंद्र से जोड़ा जा सकता है जहां से शरीर का काम-केंद्र नियंत्रित होता है- एक तार तुम्हारे मस्तिष्क के काम-केंद्र से इस यंत्र तक जुड़ा रहता है। तुम उसे जेब में रख सकते हो. जब भी तुम सेक्स का आनंद लेना चाहो, तुम बटन को दबाओ। वह बैटरी से झटका देता है मस्तिष्क के कामकेंद्र को; तुम्हें बड़ा सुख मिलता है। यह बड़ा अच्छा है, लेकिन खतरनाक है यह खतरनाक इसलिए है क्योंकि तब तुम रुकोगे नहीं, तुम दबाते ही जाओगे बटन ! ऐसा हुआ। मस्तिष्क में लगादो ने प्रयोग किया चूहों पर, एक दर्जन चूहों पर, और उसने इलेक्ट्रोड रख दिए उनके बटन ठीक सामने ही था उनके, और उसने उन्हें सिखा दिया कि कैसे उसे दबाना है। वे पागल हो गए। एक घंटे में छह हजार बार! जब तक कि वे बेहोश होकर गिर न पड़े, उन्होंने एक न सुनी देलगादो की । वे बस दबाते ही रहे बटन। देलगादो कहता है यदि ऐसा संभव हो जाए मनुष्य के लिए तो कोई भी स्त्रियों में रुचिन लेगा; किसी स्त्री को पुरुषों में रुचि न रहेगी, क्योंकि यह तो सब उपद्रव से छुटकारा है! अभी कल ही मैं पढ़ रहा था मारपा का वाक्य कि 'स्त्री उपद्रव की जड़ है।' वह है । यह यंत्र सुविधाजनक है कोई झंझट नहीं पुरुष भी उपद्रव की जड़ है, क्योंकि जब भी दोनों मिलते हैं, दो उपद्रवी ही मिलते हैं। यह यंत्र बड़ा सुविधाजनक है, लेकिन बड़ा खतरनाक भी है, क्योंकि वे चूहे. जाते ही नहीं खाने की तरफ पानी की तरफ वे सोते भी नहीं और कोई मंहगा आयोजन नहीं है केवल बिजली का खेल है। - वैसा ही कुछ घट रहा होता है, जब तुम संभोग कर रहे होते हो स्त्री से या पुरुष से। पूरी बात बचकानी है। तुम हंसते हो चूहों पर लेकिन क्या तुम स्वयं पर हंसे हो? यदि तुम स्वयं पर नहीं हंसे, तो तुम्हें चूहों पर नहीं हंसना चाहिए यह ठीक नहीं है। अपने मन को देखो चूहा वहां मौजूद है, निरंतर स्वप्न निर्मित कर रहा है। ब्रह्मचर्य है : पूरी बात को समझ लेना कि क्या घट रहा है। और यदि झटकों द्वारा तुम थोड़े शांत हो जाते हो और तुम थोड़ी सी झलक प्रसन्नता की पा लेते हो तो वह शाश्वत नहीं हो सकती है। वह केवल क्षणिक ही हो सकती है। और जल्दी ही ऊर्जा खो जाएगी और फिर तुम हताश हो जाओगे। नहीं, कुछ और तलाशना है और खोजना है- कुछ आनंदपूर्ण रहो। वैसा झटकों से नहीं हो सकता है; वह शाश्वत कुछ सनातन, जिससे कि तुम हमेशा केवल ऊर्जा के रूपांतरण द्वारा ही हो सकता है। जब वही ऊर्जा ऊपर की ओर गतिमान होती है तो तुम ऊर्जा के एक बांध बन जाते हो। वह है ब्रह्मचर्य। तुम ऊर्जा संचित करते हो। जितनी अधिक ऊर्जा तुम संचित करते हो, उतनी वह ऊंची उठती है-बांध की भांति ही होगी वर्षा, और पानी का तल और और ऊंचा होता जाएगा। लेकिन यदि
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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