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________________ होकर देखो, तो जल्दी ही तुम जान लोगे और देख लोगे कि वह कहीं और से आ रहा है। जब तुम सभोगरत होते हो, तो एक धक्का लगता है सारे शरीर को। एक झटका लगता है, क्योंकि इतनी सारी ऊर्जा निर्मुक्त होती है; सारा शरीर कैप जाता है झटके से। उस झटके में विचार ठहर जाते हैं। वह बिलकुल बिजली के झटके की भांति होता है। कोई व्यक्ति पागल हो जाता है; तुम मनोचिकित्सक के पास जाते हो और वह उसे बिजली के झटके देता है। क्यों? क्योंकि यदि बिजली का झटका दिया जाए, तो पल भर के लिए जब झटका गुजरता है दिमाग से तो हर चीज ठहर जाती है। उदाहरण के लिए, तुम मुझे सुन रहे हो। फिर भी विचार चल रहे होंगे। यदि अचानक यहां एक बम फूट जाए : तुरंत कहीं कोई विचार न रहेगा। क्षण भर को झटका इतना ज्यादा हो जाएगा कि सारी बाहरी-भीतरी संरचना काम करना बंद कर देगी। बिजली का झटका मदद देता है पागल व्यक्तियों को, क्योंकि झटका एक गैप देता है। झटके के बाद उन्हें याद नहीं रहता कि वे इसके पहले क्या थे। यदि वे उससे पहले सोच रहे होते हैं कि वे घोड़ा बन गए हैं-पागल व्यक्ति कुछ भी बन सकते हैं यदि वे झटके के पहले सोच रहे होते हैं कि वे घोड़ा बन गए हैं तो झटके के बाद उन्हें याद नहीं रहता कि वे किस विचार से ग्रस्त थे। अब एक नया वर्तुल शुरू हो जाता है। झटका मदद करता है। काम-ऊर्जा भी विद्युत-ऊर्जा है। सभी ऊर्जाएं विद्युत-ऊर्जाएं हैं, और काम-ऊर्जा जैविक-विद्युत है। वह आती है तुम्हारे शरीर से। क्या तुमने स्वीडन की एक स्त्री के बारे में सुना है? उसके शरीर में कहीं कुछ गड़बड़ हो गई है। वह पांच कैंडल का बल्व हाथ में लेती है और बल्व जल उठता है। पांच कैंडल का बल्व जल सकता है उसके हाथ में। लेकिन ऐसा मत सोचने लगना कि बहुत अच्छा होगा यदि यह तुम्हें भी घट जाए। ह मसीबत में है, क्योंकि उसका पति उसे छता है तो उसे झटका लगता है। उस स्त्री से कोई प्रेम नहीं कर सकता। ऐसा झटका लगेगा कि व्यक्ति सदा के लिए भूल जाएगा स्त्रियों को। अब मामला अदालत में है, क्योंकि ऐसे किसी मामले का कोई उल्लेख नहीं है और कोई कानून नहीं है : पति ने तलाक मांगा है क्योंकि यह स्त्री इतने झटके दे रही है उसे कि वह भयभीत हो गया है। कुछ गड़बड़ हो गई है उसकी शारीरिक संरचना में स्व शार्ट-सर्किट! तो कामोतेजना में तुम ऊर्जा निर्मित करते हो; कामवासना का विचार, कल्पना, इच्छा द्वारा तुम ऊर्जा निर्मित करते हो। वह ऊर्जा सरकती है मूलाधार की ओर, काम-केंद्र की ओर, वहा इकट्ठी हो जाती है। फिर जब ऊर्जा एक सीमा से ज्यादा इकट्ठी हो जाती है तब अचानक विस्फोट होता है-सारे शरीर को झटका लगता है; फिर एक शाति उतर आती है। बहुत मंहगी है यह शाति। तुम मूल्यवान जीवन-ऊर्जा खो रहे हो-व्यर्थ में ही।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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