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________________ तथ्य थी। मनुष्य इतना डरता था कड़कती बिजली से कि अभी तो तुम कल्पना भी नहीं कर सकते, क्योंकि अब वही बिजली विद्युत ऊर्जा बन गई है। वह सेवक बन गई है घर की वह तुम्हारा एयरकंडीशनर चलाती है; वह तुम्हारा फ्रिज चलाती है। वह दिन-रात निरंतर काम करती है-कोई सेवक उस तरह से काम नहीं कर सकता। वही बिजली एक बड़ा भयंकर तथ्य थी मानव-जीवन का। पहला देवता कड़कती–चमकती बिजली के कारण ही पैदा हुआ - भय के कारण इंद्र पैदा हुआ-गर्जन, वज्रपात और बिजली का देवता और लोगों ने उसे पूजना शुरू कर दिया। क्योंकि लोगों ने सोचा कि यह कड़कती बिजली एक सजा के रूप में आती है लेकिन अब कोई इसकी फिक्र नहीं करता। अब तुम इसके रहस्य को जानते हों - तुमने तरकीब खोज ली है। अब वही बिजली, इंद्र का दिया दंड, सेवक की भांति काम करती है. इंद्र तुम्हारा पंखा चला रहे हैं। अब इंद्र देवता न रहे, बल्कि सेवक हो गए। और इतने विनीत सेवक कि कभी हड़ताल नहीं करते, कभी तनख्वाह बढ़ाने के लिए नहीं कहते, कुछ नहीं कहते- बिलकुल आज्ञाकारी सेवक । ऐसा ही घटता है मनुष्य के अंतराकाश में क्रोध की बिजली चमकती है। बुद्ध में यही बिजली करुणा बन जाती है। अब देखना बुद्ध का चेहरा इतना आलोकित ! कहां से आता है यह आलोक? यह रूपांतरित क्रोध है। तुम भयभीत हो कामवासना से, लेकिन क्या कभी तुमने सुना कि कोई नपुंसक व्यक्ति बुद्धत्व को उपलब्ध हुआ? जरा बताना मुझे क्या तुमने सुना है किसी नपुंसक व्यक्ति के बारे में, जिसमें कि काम - ऊर्जा नहीं थी, और जो मसीहा हो गया हो - महावीर, कि मोहम्मद, कि बुद्ध, कि क्राइस्ट? क्या तुमने सुना है ऐसा कभी? ऐसा कभी नहीं होता। ऐसा हो नहीं सकता, क्योंकि ऊर्जा ही नहीं होती। यह काम - ऊर्जा ही है जो ऊपर उठती है। यह काम - ऊर्जा ही है जो रूपांतरित होती है और रूपांतरित होकर समाधि बन जाती है। : काम-ऊर्जा ही बनती है समाधि परम चेतना मैं तुमसे कहता हूं जितने ज्यादा तुम कामुक हो उतनी ही ज्यादा संभावना है; इसलिए भयभीत मत होना। ज्यादा काम-ऊर्जा इतना ही बताती है कि तुममें बहुत ज्यादा ऊर्जा है। अच्छी है बात। तुम्हें अनुग्रह मानना चाहिए परमात्मा का। लेकिन तुम अनुगृहीत नहीं हो - उलटे तुम अपराधी अनुभव करते हो; उलटे तुम तो परमात्मा के विरुद्ध शिकायत से भरे मालूम पड़ते हो कि तुमने यह ऊर्जा क्यों दी मुझे?' तुम नहीं जानते कि भविष्य में इस ऊर्जा द्वारा क्या संभव है। बुद्ध नपुंसक नहीं है। उन्होंने बहुत ही परिपूर्ण काम - जीवन जीया - कोई साधारण काम - जीवन नहीं । उनके पिता ने राज्य की सुंदरतम स्त्रियां उनकी सेवा में उपलब्ध करवा दी थीं, सारी सुंदर युवतियां उनकी सेवा में संलग्न थीं। तो ऊर्जा जरूरी है, और ऊर्जा सदा सुंदर होती है। यदि तुम उसका उपयोग करना नहीं जानते, तो वह असुंदर हो जाती है; तब वह यहां-वहां बिखरने लगती है। ऊर्जा को ऊपर ले जाना है।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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