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________________ रह कर स्वप्न देख रहे हैं कि वे भीतर प्रवेश कर गए हैं और देख रहे हैं परमात्मा को; वे स्वर्ग में हैं या मोक्ष पा गए हैं! नहीं; केवल अखंड रूप से ही तुम प्रवेश करोगे - स्व भी हिस्सा पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। तो करना क्या होगा? मुझे मालूम है कि कुरुप हिस्से हैं और मेरी समझ में आती है तुम्हारी उलझन भरी स्थिति। तुम नहीं चाहोगे उन कुरूप हिस्सों को परमात्मा के पास ले जाना। तुम्हारी तकलीफ, तुम्हारी मुश्किल मेरी समझ में आती है। तुम सारी कामवासना को सारे क्रोध को सारी ईर्ष्या को घृणा को " 1 गिरा देना चाहते हों - तुम शुद्ध, कुंआरे, निर्दोष हो जाना चाहते हो। अच्छी बात है। तुम्हारे विचार शुभ हैं, लेकिन जिस ढंग से तुम इसे करना चाह रहे हो, वह संभव नहीं है। केवल एक ही मार्ग है. रूपांतरण। अपने हिस्सों को काटो मतः उन्हें रूपांतरित करो। कुरूपता सुंदरता बन सकती है। तुमने कभी ध्यान दिया कि बगीचे में क्या घटता है? तुम गोबर की खाद लाते हो, दुर्गंध होती हैउर्वरक, खाद६- बुरी तरह दुर्गंध उठ रही होती है लेकिन थोड़े समय में वही खाद धरती में विलीन हो जाती है; और वह प्रकट होती है सुंदर फूलों के रूप में जो इतनी दिव्य सुगंध लिए होते हैं! यह है रूपांतरण। दुर्गंध बन जाती है सुगंध; खाद का बेहूदा रूप बन जाता है सुंदर पुष्प। तो जीवन को चाहिए रूपांतरण। तुम परमात्मा के मंदिर में अखंड प्रवेश करोगे - रूपांतरित होकर । किसी भी चीज का दमन मत करना, बल्कि उसे रूपांतरित करने की तरकीब खोजने का प्रयास करना । क्रोध ही करुणा बन जाता है। जिस व्यक्ति में क्रोध नहीं, वह करुणावान भी नहीं हो सकता - कभी नहीं। यह सांयोगिक ही नहीं है कि सभी चौबीस जैन तीर्थंकर क्षत्रिय थे- योद्धा, क्रोधी; और वे ही देशना देने लगे अहिंसा और करुणा की। बुद्ध योद्धा हैं, क्षत्रिय परिवार से आते हैं, जैसे समुराई होते हैं, और वे करुणा के महानतम संदेशवाहक हो गए। क्यों? उनके पास तुम से कहीं ज्यादा क्रोध था। जब क्रोध परिवर्तित और रूपांतरित हुआ, तो निश्चित ही वह विराट ऊर्जा बन गया । तुम्हारे लिए क्रोध जरूरी है। जैसे तुम अभी हो तुम्हें क्रोध की जरूरत है, क्योंकि यह एक सुरक्षा कवच है; और रूपांतरण के बाद भी तुम्हें इसकी आवश्यकता होगी, क्योंकि तब यह ईंधन बन जाता है- ऊर्जा बन जाता है। यह एक शुद्ध ऊर्जा है। क्या तुमने किसी छोटे बच्चे को क्रोध में देखा है? कितना सुंदर लगता है बच्चा लाल, दमदमाता, ऊर्जा से भरपूर, जैसे कि विस्फोट कर सकता हो और नष्ट कर सकता हो सारे संसार को बिलकुल छोटा, नन्हा सा बच्चा, परमाणु ऊर्जा की भांति मालूम पड़ता है-चेहरा लाल उछल-कूद मचा रहा और रो रहा – मात्र ऊर्जा, शुद्ध ऊर्जा। यदि तुम बच्चे को 1 - रोको नहीं और उसे सिखाओ कि इस ऊर्जा को कैसे समझें, तो किसी दमन की कोई जरूरत न होगी. वही ऊर्जा रूपांतरित हो सकती है। तुम ध्यान देना बादल घिरते हैं आकाश में, और जोर से बिजली चमकती है, और जोर से बादल गरजते हैं। यह बिजली, अभी कुछ सौ वर्ष पहले तक मनुष्य के जीवन का एक आतंकपूर्ण
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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