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________________ तुम पड़े हो जाल में क्योंकि तुम कहीं नहीं हो और कैसे तुम कहीं न होने वाली जमीन पर व्यवस्थित हो सकते हो? अतीत तुम्हें निमंत्रित करता ही जाएगा 'वापस आओ, वापस लौट आओ उस किनारे पर जिसे कि तुम छोड़ चुके हो। ' और वापस लौटना होता नहीं, क्योंकि तुम समय में पीछे की ओर बढ़ नहीं सकते। बढ़ना केवल एक ही है, और वह है आगे की ओर आगे । अतीत तुम पर गहरा प्रभाव बनाये रहता है; क्योंकि तुम होते हो सेतु पर और अतीत भी सेतु पर होने से तो बेहतर ही लगता है। एक छोटी झोपड़ी भी ज्यादा ठीक होती सेतु पर होने की अपेक्षा। कम से कम वह एक घर तो है; तुम सड़क पर नहीं होते । 1 1 मानव प्राणियों का अतीत, वह पशुत्व, उसमें सतत आकर्षण होता है। वह कहता, लौट आओ पीछे वह कहता है, 'कहीं कोई जाना, बढ़ना नहीं है। 'तुम्हारे भीतर का पशु तुम्हें पुकारे चला जाता है, 'वापस आ जाओ। और इसमें आकर्षण होता है, क्योंकि सेतु की तुलना में बेहतर है यह तो भी तुम नहीं जा सकते वापस एक बार कोई कदम उठा लिया जाता है तो उसे अनकिया नहीं किया जा सकता। एक बार जब तुम बढ़ जाते हो आगे, तो तुम वापस नहीं जा सकते। तुम स्वप्न संजोए रख सकते हो, और तुम व्यर्थ गंवा सकते हो अपनी ऊर्जा, वही ऊर्जा जो तुम्हें ले गयी होती आगे । - लेकिन वापस जाना संभव नहीं। कैसे एक युवा व्यक्ति फिर से बच्चा बन सकता है? और कैसे एक वृद्ध फिर से युवा व्यक्ति हो सकता है? ऐसा संभव हो भी जाए कि विज्ञान करता हो मदद तुम्हारी देह के फिर से युवा होने में। वैसा संभव है, क्योंकि आदमी बहुत चालाक है, और वह देह के कोशाणुओ को धोखा दे सकता है। और वह तुम्हें नया कार्यक्रम दे सकता है और वे लौट सकते हैं पीछे। लेकिन तुम्हारा मन पुराना बना रहेगा। तुम्हारी देह युवा हो सकती है, लेकिन तुम कैसे हो सकते हो युवा? वह सब जिसका अनुभव तुमने किया है तुम्हारे साथ रहेगा उसे वापस नहीं फेंका जा सकता। वह किनारा जो छूट जाता है सदा के लिए ही छूट जाता है। तुम फिर से वापस जाने के उस आकर्षण को और उस सम्मोह - आसक्ति को गिरा दो उसे उतना ज्यादा अच्छा है। , कोई नहीं लौट सकता पीछे पशु नहीं हो सकते। बेहतर है देना जितनी जल्दी तुम गिरा व्यक्ति उन चीजों से आनंदित होता है जो उसे अनुभूति दे जाती हैं अतीत की, प्राणी-जगत की । इसीलिए इतना ज्यादा आकर्षण होता है कामवासना का । इसीलिए लोग खाने के प्रति आसक्त होते हैं, खाये चले जाते हैं, भोजन के वशीभूत हो जाते हैं। इसीलिए एक आकर्षण होता है लालच, क्रोध, ईर्ष्या, और घृणा में वे सब बातें संबंध रखती हैं पशुता के राज्य से वह किनारा है जिसे तुम छोड़ चुके, पशु–राज्य का किनारा। और है एक दूसरा किनारा जिस तक कि तुम अभी पहुंचे नहीं हो, तुम्हारे सपनों में भी नहीं वह है प्रभु का राज्य और इन दोनों के बीच तुम टिके हु हो मन में । तुम नहीं जा सकते वापस कठिन होता है आगे बढ़ना, क्योंकि अतीत तुम्हें खींचे चला जाता है और भविष्य बना रहता है अज्ञात, धुंधला-सा, धुंध की भांति। तुम देख नहीं सकते दूसरा किनारा वह प्रकट
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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