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________________ और इसीलिए तुम्हारे लिए बहुत कठिन होता है धार्मिक होना। तुम चाहोगे समाज तुम्हें सिखाए। यदि धर्म सिखाया जा सकता है, तो तुम सभी धार्मिक हो गए होते। लेकिन धर्म सिखाया नहीं जा सकता है वह कोई शिक्षा नहीं, वह छलांग है अज्ञात में उसके लिए साहस की आवश्यकता है, सीखने की नहीं और कौन सिखा सकता है तुम्हें साहस? और साहस सिखाया कैसे जा सकता है? या तो वह तुम्हारे पास होता है या वह तुम्हारे पास नहीं होता। इसलिए पता लगा लेना कि साहस तुम्हारे पास है भी ? और तुम पता लगाने की कोशिश करो तो हर कोई पाएगा कि उसमें कहीं न कहीं बड़ी विशाल संभावना छिपी रहती है साहस की। क्योंकि साहस के बगैर जीवन संभव नहीं। प्रतिपल जीवन एक जोखम होता है। बिना साहस के तुम कैसे रह सकते हो? बिना साहस के तुम सांस कैसे ले सकते हो? साहस होता है मौजूद, लेकिन तुम्हें पता नहीं होता। साहस को खोज लो, व्यक्तिगत प्रतिबद्धता की जिम्मेदारी जानो । संसार को और आदर्श मान्यताओं को भूल जाओ, और स्वयं को बदलो। और यही है सौंदर्य यदि तुम बदलते हो स्वयं को तो तुमने संसार को बदलना शुरू ही कर दिया होता है। क्योंकि तुम्हारे बदलाव के साथ संसार का एक हिस्सा बदल चुका होता है। तुम संसार के अंग हो । यदि एक भी हिस्सा बदलता है, तो वह संपूर्ण को प्रभावित करेगा क्योंकि संपूर्ण एक है, हर चीज संबंधित है। यदि मैं बदलता हूं; तो मैं एक ढंग से सारे संसार को बदलता हूं। संसार फिर कभी वैसा ही न होगा । क्योंकि एक हिस्सा – करोड़वां भाग पर फिर भी एक हिस्सा बदल ही चुका है, बिलकुल अलग बन गया है; अब वह इस संसार का नहीं रहा। एक दूसरा संसार मेरे द्वारा व्याप्त हो चुका है। शाश्वतता समय में प्रवेश कर चुकी है। परमात्मा उतरा है, मानव शरीर में बसने को; कुछ भी वैसा ही नहीं रह सकता, हर चीज बदल जाएगी मेरे द्वारा। इसे याद रखना और यह भी याद रखना कि धर्म कोई नकल नहीं है। तुम धार्मिक व्यक्ति की नकल नहीं कर सकते। यदि तुम नकल करते हो तो यह उदय- धर्म होगा- नकली, झूठा। तुम कैसे मेरी नकल कर सकते हो? और यदि तुम नकल करते हो तो कैसे तुम स्वयं के प्रति सच्चे रह सकते हो? तुम स्वयं के प्रति झूठे हो जाओगे तुम यहां मेरे जैसे होने को नहीं हुए हो तुम यहां हो बिलकुल तुम्हारे जैसे होने को मेरे जैसे होने को तुम यहां नहीं हो तुम यहां हो बिलकुल अपने जैसे होने के लिए - अपने ही जैसे । मैंने सुना है एक यहूदी फकीर जोसिया के बारे में वह मर रहा था और किसी ने कहा, 'जोसिया मोजेज की प्रार्थना करो और मांगो उनसे कि तुम्हारी मदद करें। जोसिया ने कहा, 'भूल जाओ मोजेज के बारे में क्योंकि जब मैं मर जाऊंगा, तो परमात्मा मुझसे यह न पूछेगा कि मैं मोजेज जैसा क्यों न हुआ। वह पूछेगा में जोसिया जैसा क्यों नहीं हुआ। वह नहीं पूछेगा मुझसे कि तुम मोजेज जैसे क्यों नहीं? वह मेरी जिम्मेदारी नहीं, मोजेज जैसा होना। यदि परमात्मा मेरा होना मोजेज जैसा चाहता, तो उसने मुझे मोजेज बना दिया होता। वह पूछेगा मुझसे, जोसिया तुम जोसिया जैसे क्यों नहीं? और यही
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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