SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जब अचेतन बोलता है, तो अचेतन किसी भाषा को नहीं जानता। यह एक बहुत पुरानी विधि है। यह चली आती है प्राचीन विधान से उन दिनों यह कहलाई जाती थी, 'ग्लोसोलालिया'। अमेरिका के कुछ चर्च अभी इसका प्रयोग करते हैं वे इसे कहते हैं, 'जीभ में बोलना। और यह एक अदभुत विधि है, सर्वाधिक गहन और अचेतन में उतर जाने वाली विधियों में से एक। तुम शुरू करते हो, 'ला ला ला,' और फिर तुम चलते चले जा सकते हो किसी भी चीज के साथ जो कि आ जाती है केवल पहले दिन तुम इसे थोड़ा कठिन अनुभव करोगे। एक बार यह आ जाए तो तुम जान लेते हो इसका ढंग । तब पंद्रह मिनट को प्रयोग करना उस भाषा का जो कि तुम तक पहुंच रही हो, और उसका प्रयोग करना भाषा की गति। वस्तुत: तुम उसमें बोल ही रहे होते हो। ये पंद्रह मिनट तुम्हारे चेतन को इतने गहरे रूप से आराम पहुंचा देंगे, और फिर तुम बस लेट जाते हो और सो जाते हो। तुम्हारी नींद ज्यादा गहरी हो जाएगी। कुछ सप्ताह के भीतर तुम गहराई अनुभव करोगे तुम्हारी निद्रा और सुबह तुम संपूर्ण रूप से ताजा अनुभव करोगे। फिर मैं प्रयत्न भी करूं, तो मैं तुम्हें नींद में नहीं ला सकता। पहला प्रकार सुंदर है, तीसरा प्रकार एक प्रकार की शारीरिक भुखमरी है, वह रोग है। तीसरे प्रकार का उपचार करना होता है; पहले प्रकार को आने देना होता है। दूसरे प्रकार के बारे में तुम्हें अपराधी अनुभव करना ही चाहिए और हर प्रयास करना चाहिए उससे बाहर आ जाने का । सातवां प्रश्न. अब जिस समय कि आधुनिक आदमी इतनी जल्दी में है और पतंजलि की विधियां इतना समय लेती हैं तो किसके प्रति संबोधित कर रहे हैं आप ये प्रवचन? हां. आधुनिक आदमी जल्दी में है, इसीलिए ठीक विपरीत बात मदद देगी। यदि तुम जल्दी में होते हो, तब पतंजलि सहायक होंगे क्योंकि वे जल्दी में नहीं हैं। वे प्रतिकारक (एंटिडोट) हैं। तुम्हारे मन को जरूरत है एंटिडोट की, विशेषकर पश्चिमी मन को इस बात की ओर जरा इस ढंग से देखो अब और कोई दूसरा मन अस्तित्व नहीं रखता सिवाय पश्चिमी मन के कमोबेश हर जगह ऐसा है, पूरब में भी पूरब को भी जल्दी है। इसीलिए वह आकर्षित हुआ है झेन में झेन अचानक संबोधि की आशा दिलाता है। झेन जान पड़ता है इन्स्पेंट कॉफी की भांति, और आकर्षण है उसमें लेकिन मैं जानता हूं कि झेन मदद न देगा। क्योंकि झेन के कारण नहीं है आकर्षण, आकर्षण है जल्दबाजी के कारण। और तब तुम नहीं समझते झेन को पश्चिम में जो खबर उड़ी हुई है झेन के बारे में वह लगभग झूठी है।
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy