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________________ यदि बुद्ध और जीसस समीप आ जायें यदि वे एक साथ खड़े हो जायें, तो तुम दो अलग लैम्प देखोगे, लेकिन उनके प्रकाश मिल ही चुके हैं। वे एक हो गये हैं। वे सब जिन्हें सत्य का बोध हुआ है, एक हो गये हैं। उनके नाम अलग हैं उनके अनुयायियों के लिए, लेकिन उनके लिए अब कोई नाम नहीं रहे हैं। चौथा प्रश्न: कृपया समझाइए कि क्या जागरूकता भी मन की एक वृत्ति है ? नहीं, जागरुकता मन का हिस्सा नहीं है। वह मन के द्वारा प्रवाहित होती है लेकिन वह मन का हिस्सा नहीं है। यह बल्व की भांति है, जिसके द्वारा विद्युत प्रवाहित होती है, लेकिन विद्युत बल्व का हिस्सा नहीं है। यदि तुम बल्व को तोड़ते हो, तो तुमने बिजली को नहीं तोड़ा है। उसकी अभिव्यक्ति में रुकाव आ जायेगा, लेकिन क्षमता प्रच्छन्न रहती है। यदि तुम दूसरा बल्व रखते हो, तो बिजली प्रवाहित होने लगती है। मन केवल एक उपकरण है। जागरुकता उसका हिस्सा नहीं है, लेकिन जागरूकता उसके द्वारा प्रवाहित होती है। जब मन का अतिक्रमण हो जाता है, जागरूकता अपने आप बनी रहती है। इसीलिए मैं कहता हूं कि बुद्ध को भी मन का प्रयोग करना होगा, यदि उन्हें तुमसे बात करनी हो, यदि उन्हें तुमसे संबंधित होना हो क्योंकि तब उन्हें एक प्रवाह की आवश्यकता होगी उनके आंतरिक स्रोत का प्रवाह। उन्हें प्रयोग करना पड़ेगा उपकरणों का, माध्यमों का, और फिर मन कार्य करेगा। लेकिन मन केवल एक वाहन है, एक साधन । तुम वाहन में घूमते-फिरते हो लेकिन तुम वाहन नहीं हो। तुम कार में जाते हो, हवाई जहाज द्वारा उड़ान करते हो, लेकिन तुम वाहन नहीं हो। मन वाहन मात्र है और तुम मन की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर रहे हो। यदि तुम इसकी पूरी क्षमता का उपयोग करो, तो यह सम्यक ज्ञान हो जायेगा। हम मन का उपयोग ऐसे कर रहे हैं जैसे कोई हवाई जहाज का उपयोग बस की भांति कर रहा हो। तुम हवाई जहाज के पंख काट सकते हो और सड़क पर उसे बस की तरह चला सकते हो, वह काम करेगा। वह बस की तरह काम करेगा। लेकिन तुम मूर्ख हो वह बस उड़ सकती है। तुम उसकी भरपूर क्षमता का उपयोग नहीं कर रहे।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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