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________________ फूटने लगे। वह ऐसी हो गयी थी जैसे वह हीरों की बनी हुई हो। इतने सुंदर आकार और सूक्ष्म घटाएं थीं वहां कि अपनी आंखों पर विश्वास न कर सका। वह उस पर विश्वास न कर सका जो घट रहा था। बाद में उसे ध्यान आया कि यही घटित हुआ होगा वॉन गॉग को, क्योंकि उसने एक कुर्सी का चित्र बनाया था जो करीब-करीब बिलकुल वैसा ही था। एक कवि को कोई जरूरत नहीं है एल एस डी लेने की। उसके पास अंतर्निर्मित व्यवस्था होती है शरीर में एल एस डी उंडेलने की। यही है भेद एक कवि और एक साधारण व्यक्ति में। इसीलिए कहा जाता है कि कवि जन्मजात होता है, बनाया नहीं जाता। क्योंकि उसके पास असाधारण शारीरिक ढांचा होता है। उसके शरीर के रसायनों में अलग ही परिमाण और गुणवत्ता होती है। इसीलिए जहां तुम्हें कोई चीज दिखायी नहीं पड़ती, वह अद्भुत चमत्कार देख लेता है। तुम देखते हो एक साधारण वृक्ष, और वह देखता है कुछ अविश्वसनीय। तुम देखते हो साधारण बादल, लेकिन एक कवि, यदि वह वास्तव में ही कवि है, वह कभी नहीं देखता कोई साधारण चीज। हर चीज असाधारण रूप से सुंदर हो उठती है। यही घटता है योगी को। क्योंकि जब तुम अपने श्वसन को और अपनी मनःस्थितियों को बदलते हो, तो तुम्हारे शारीरिक रसायन अपना ढांचा बदलते हैं; तुम रासायनिक रूपांतरण में से गुजरते हो। और तब तुम्हारी आंखें साफ हो जाती है, एक नयी संवेदनक्षमता घटती है। वही पुराना वृक्ष एकदम नया हो जाता है। तुम कभी न जान पाये थे इसकी हरीतिमा। यह आलोकित हो जाता है। तुम्हारे चारों ओर का सारा संसार नया रूपाकार ले लेता है। अब यह एक स्वर्ग हो जाता है; वही साधारण पुराना रही संसार नहीं रहता। तुम्हारे चारों ओर के लोग अब वही न रहे। तुम्हारी साधारण पत्नी सबसे सुंदर सी हो जाती है। तम्हारी अनभूति की स्पष्टता के साथ ही हर चीज बदल जाती है। जब तुम्हारी दृष्टि बदलती है तो हर चीज बदल जाती पतंजलि कहते हैं, 'जब ध्यान अतींद्रिय संवेदना जगाता है, तो आत्मविश्वास प्राप्त होता है और यह बात मदद देती है साधना में सातत्य बनाये रखने में।' तब तुम आश्वस्त हो जाते हो कि तुम सम्यक मार्ग पर हो। संसार और और सुंदर हो रहा है, असंदरता तिरोहित हो रही है। संसार अधिकाधिक एक घर बन रहा होता है; तुम इसमें और ज्यादा निश्चित अनुभव करते हो। यह मित्रता से, भरा होता है। तुम्हारे और ब्रह्मांड के बीच एक प्रेम-क्रीड़ा चलती है। तुम ज्यादा आश्वस्त, ज्यादा आत्मविश्वासी होते हो और ज्यादा धैर्य चला आता है तुम्हारे प्रयास में। उस आंतरिक प्रकाश पर भी ध्यान करो जो शांत है और सभी दुखों से बाहर है।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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