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________________ समग्रता से कि वह केवल अपनी पत्नी को ही नहीं भूला,उसे इसका भी होश न था कि कौन भोजन लाया, कौन थालियां वापस ले गया, कौन आया शाम को और दीया जला गया,किसने उसकी शय्या तैयार की। बारह वर्ष गुजर गये, और वह रात्रि आयी जब उसकी व्याख्या पूरी हो गयी थी। उसे अंतिम शब्द भर लिखना था। और उसने प्रण किया हुआ था कि जब व्याख्या पूरी होगी, वह संन्यासी हो जायेगा। तब वह मन से संबंधित न रहेगा, और सब कुछ समाप्त हो जायेगा। यह व्याख्या उसका एकमात्र कर्म था, जिसे परिपर्ण करना था। था। उस रात वह थोड़ा विश्रांत था क्योंकि उसने करीब बारह बजे अंतिम वाक्य लिख दिया था। पहली बार वह अपने वातावरण के प्रति सजग हुआ। दीया धीमा जल रहा था और अधिक तेल चाहिए हाथ उसमें तेल उड़ेलने लगा था। उसने पीछे देखा, यह देखने को कि वहां कौन था। वह नहीं पहचान सका चेहरे को, और बोला, 'तुम कौन हो और यहां क्या कर रही हो?'पत्नी बोली, अब जो आपने पूछ ही लिया है, तो मुझे कहना है कि बारह वर्ष पहले आपने मुझे अपनी पत्नी के रूप में ग्रहण किया था। लेकिन आप इतने डूबे हुए थे अपने कार्य के प्रति इतने प्रतिबद्ध थे, कि मैं बाधा डालना या 'शांति भंग करना न चाहती थी।' वाचस्पति रोने लगा; उसके अश्रु बहने लगे। पत्नी ने पूछा, 'क्या बात है?' वह बोला, 'यह बहुत जटिल बात है। अब मैं धर्म-संकट में पड़ घबरा गया हूं क्योंकि व्याख्या पूरी हो गयी है और मैं संन्यासी होने जा रहा हूं। मैं गृहस्थ नहीं हो सकता; मैं तुम्हारा पति नहीं हो सकता। व्याख्या पूरी हुई और मैंने प्रतिज्ञा की है। अब मेरे लिए . कोई समय नहीं। मैं तुरंत जा रहा हूं। तुमने मुझसे पहले क्यों न कहा? मैं तुम्हें प्रेम कर सकता था। तुम्हारी सेवा, तुम्हारे प्रेम, तुम्हारी निष्ठा के लिए अब मैं क्या कर सकता हूं?' ब्रह्म-सूत्र पर अपने भाष्य का उसने नाम दिया' भामती।' भामती था उसकी पत्नी का नाम। बेतुका है नाम। बादरायण के ब्रह्म-सूत्र के भाष्य को 'भामती' कहना बेतुका है, इस नाम का कोई संबंध जुडूता नहीं। लेकिन उसने कहा, 'अब कुछ और मैं कर नहीं सकता। अब केवल पुस्तक का नाम लिखना ही शेष है अत: मैं इसे भामती कहूंगा जिससे कि तुम्हारा नाम सदैव याद रहे।' ___ उसने घर त्याग दिया। पत्नी रो रही थी, आंसू बहा रही थी, पर पीड़ा में नहीं, आनंद में। वह बोली, 'यह पर्याप्त है। तुम्हारी यह भावदशा, तुम्हारी आंखों में भरा यह प्रेम पर्याप्त है। मैंने पर्याप्त पाया, अत: अपराधी अनुभव न करें। जायें, मुझे बिलकुल भूल जायें। मैं आपके मन पर बोझ नहीं बनना चाहूंगी। मुझे याद करने की कोई आवश्यकता नहीं।' यह संभव होता है। अगर तुम किसी चीज में समपता से डूबे होते हो, तो कामवासना तिरोहित हो जाती है। क्योंकि कामवासना सुरक्षा का एक उपाय है। जब तुम्हारे पास अप्रयुक्त ऊर्जा
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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