SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वारा निर्मित हुई थी। और वह केवल एक दुथ्वक्र था जिसे उन्होंने तुममें निर्मित किया था। क्योंकि यह उनमें निर्मित हुआ उनके माता-पिता द्वारा, और इसी तरह और पीछे भी यही। तुम्हारे माता-पिता तुममें यह भाव निर्मित करते हैं कि तुम शक्तिहीन हो। क्यों त्र: क्योंकि केवल इसके द्वारा वे अनुभव करते कि वे शक्तिशाली हैं। तुम शायद सोच रहे होते हो कि तुम अपने बच्चों को बहुत ज्यादा प्यार करते हो, लेकिन वस्तु-स्थिति यह नहीं जान पड़ती है। तुम सत्ता से प्यार करते हो, और जब तुम्हारे बच्चे होते हैं, जब तुम माता-पिता बनते हो, तब तुम शक्तिशाली, सत्तापूर्ण होते हो। तुम्हारी कोई न सुनता होगा, तुम संसार में कोई स्थान न रखते होओगे। लेकिन कम से कम तुम्हारे घर की सीमाओं के भीतर तुम शक्तिशाली होते हो। कम से कम तुम छोटे बच्चों को सता सकते हो! जरा पिताओं और माताओं की तरफ देखो। वे सताते हैं। और वे इतने प्रेमपूर्ण ढंग से सताते हैं कि तुम उनसे कह भी नहीं सकते कि वे उत्पीड़ित कर रहे हैं। उनके अपने भले' के लिए वे उत्पीडित कर रहे हैं बच्चों के भले के लिए ही। वे 'विकसित' होने में उनकी सहायता कर रहे हैं! वे शक्तिशाली अनुभव करते हैं इससे। समाजशास्त्री कहते हैं कि बहुत लोग अध्यापन करते हैं केवल शक्तिशाली अनुभव करने को ही। तुम्हारे अधिकार में तीस बच्चे हों तो तुम किसी सम्राट की भांति ही होते हो। ऐसा सुना जाता है कि औरंगजेब को उसके बेटे ने जेल में डाल दिया था। जब वह जेल में था तो उसने अपने बेटे को एक चिट्ठी लिखी। उसने कहा, 'मेरी सिर्फ एक चाह है। अगर तुम इसे पूरा कर सको तो यह अच्छा होगा और मैं श होऊंगा। बस, मेरे पास तीस बच्चे भेज दो ताकि मैं उन्हें यहां पढ़ा सकू अपनी कैद के दौरान।' सुनते हैं उसके बेटे ने यह कहा कि 'मेरे पिता हमेशा बादशाह रहे हैं, और वे अपना राज्य नहीं खो सकते। जेल में भी उन्हें तीस बच्चों की जरूरत है जिससे कि वे उन्हें पढ़ा सकें।' जरा देखना। किसी स्कूल में जाना। कुर्सी पर बैठे हुए शिक्षक के पास पूरी सत्ता होती है। वह हर चीज का मालिक होता है जो वहां घटित हो रही हो। लोग बच्चे इसलिए नहीं चाहते कि वे उन्हें प्यार करते है। अगर वे सचमुच ही प्यार करते होते, तो संसार पूर्णतया अलग तरह का होता। अगर तुमने अपने बच्चों से प्रेम किया होता तो संसार पूर्णतया भिन्न होता। तुम उसकी सहायता न करते उसके निस्सहाय होने में, असहाय अनुभव करने में। तुम उसे इतना प्रेम देते कि वह अनुभव करता कि वह शक्तिशाली है। अगर तम प्रेम देते हो, तो वह शक्ति की मांग कभी नहीं कर रहा होगा। वह राजनेता नहीं बनेगा। वह चुनावों के पीछे नहीं जायेगा। वह धन-संग्रह करने की कोशिश नहीं करेगा और उसके पीछे पागल नहीं हो जायेगा, क्योंकि वह जानता होगा कि यह बात व्यर्थ है। वह शक्तिशाली है ही। प्रेम ही पर्याप्त है।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy