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________________ रखने वाला बने। बच्चा उसी क्षण से ही राजनैतिक होने लगता है। शासन कैसे जमाया जाये, इसकी चालाकियां वह सीखने लगता है। अगर वह ज्यादा रोता है, तो वह जान लेता है कि वह रोने के द्वारा अधिकार जमा सकता है। वह रोने के द्वारा घर भर पर शासन कर सकता है, इसलिए वह रोना-चीखना सीख लेता है। स्त्रियां इसे जारी रखती हैं, जब वे बच्चियां न भी रही हों। उन्होंने रहस्य सीख लिया है, और वे उसे जारी रखती हैं। उन्हें इसे बनाये रखना पड़ता है क्योंकि वे कमजोर बनी रहती हैं। यह शक्ति की राजनीति है। बच्चा युक्ति जानता है, और वह अशांति निर्मित कर सकता है। और वह ऐसा उयात मचा सकता है कि तुम्हें उसे स्वीकार करना पड़ता है और उसके साथ समझौता करना पड़ता है। हर क्षण वह गहराई से अनुभव करता है कि जिस एक चीज की आवश्यकता है, वह है शक्ति, अधिक शक्ति। वह शिक्षा प्राप्त करेगा, वह स्कूल जायेगा, वह बड़ा होगा, वह प्रेम करेगा,लेकिन उसकी शिक्षा, प्रेम, खेल, हर चीज के पीछे वह ढूंढ रहा होगा कि अधिक सत्ता कैसे प्राप्त करे। शिक्षा द्वारा वह अधिकार जमाना चाहेगा। वह सीख लेगा कि क्लास में प्रथम कैसे आया जाये जिससे कि वह अधिकार रख सके। ज्यादा पैसा कैसे पाया जाये ताकि वह शासनकर्ता बन सके। प्रभुत्व के क्षेत्र में किस तरह प्रभाव बढ़ता रहे। अपनी सारी जिंदगी वह शक्ति के, सत्ता के पीछे पड़ा रहेगा। ___ अनेक जन्म व्यर्थ ही खो जाते हैं। और अगर तुम शक्ति पा भी लेते हो, तो क्या कर लोगे तुम रूम एक बचकानी आकांक्षा मात्र पूरी हो जाती है। जब तुम नेपोलियन या हिटलर बन जाते हो, तब अचानक तुम सजग हो जाओगे कि सारी चेष्टा ही व्यर्थ रही है, असार! बस, एक बचकानी आकांक्षा पूरी हो गयी है, इतना ही। तब क्या करोगे? करोगे क्या इस शक्ति का?अगर आकांक्षा पूरी हो जाती है, तो तम उत्साहरहित बन जाते हो और अगर आकांक्षा पूरी नहीं होती है तो तम निराश होते हो। और यह पूर्णतया तो पूरी हो नहीं सकती। कोई इतना ज्यादा शक्तिशाली नहीं हो सकता कि वह अनुभव कर सके कि' अब यह पर्याप्त है। कोई नहीं! जीवन इतना जटिल है कि हिटलर भी खास क्षणों में शक्तिहीन अनुभव करता है, नेपोलियन भी शक्तिहीन अनुभव करेगा किन्हीं क्षणों में। कोई भी व्यक्ति परम शक्ति का अनुभव नहीं कर सकता, इसलिए तुम्हें कोई चीज संतुष्ट नहीं कर सकती है। लेकिन जब कोई व्यक्ति अपनी आत्मा के बोध को उपलब्ध होता है, तो वह परम शक्ति के स्रोत को ही जान लेता है। तब शक्ति की इच्छा तिरोहित हो जाती है। क्योंकि तुम जान जाते हो कि तुम पहले से ही सम्राट हो और तुम सिर्फ सोच रहे थे कि तुम भिखारी हो। तुम ज्यादा बड़े भिखारी बनने को संघर्ष कर रहे थे, ज्यादा ऊंचे भिखारी। और तुम पहले से ही सम्राट थे! अचानक तुम स्पष्ट अनुभव करते हो कि तुम्हारे पास किसी चीज का अभाव नहीं है। तुम असहाय नहीं हो। तुम समस्त ऊर्जाओं के स्रोत हो। तुम हो जीवन के असली स्रोत। बचपन की शक्तिहीनता वाली अनुभूति दूसरों
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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